पहली नवम्बर को चीनी विज्ञान अकादमी की स्थपना की 65वीं वर्षगांठ है। पिछले 65 वर्षों में चीनी विज्ञान अकादमी ने विश्व के कई देशों के वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और उद्योगों के साथ व्यापक वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग स्थापित किया है।
चीनी विज्ञान अकादमी के अंतरराष्ट्रीय सहयोग ब्यूरो के प्रधान छाओ चिंगह्वा ने सीआरआई के भारतीय संवाददाता पंकज श्रीवास्तव के साथ हुए साक्षात्कार में कहा कि विश्व में दो बड़े विकासशील देशों के रूप में चीन और भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं। अंतरिक्ष वैज्ञानिक क्षेत्र में दोनों देश एक दूसरे के पूरक हैं। चीन और भारत के सहयोग से अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान के विकास को जबरदस्त प्रगति मिलेगी। आशा है कि दोनों देशों के वैज्ञानिक आपस में आदान प्रदान और द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करेंगे।
गौरतलब है कि भारत मंगल ग्रह योजना पर सफल हुआ है। गत 24 सितंबर को भारतीय मंगल डिटेक्टर मंगलयान ने सही सलामत मंगल कक्ष में प्रवेश किया, इस तरह भारत अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के बाद एशिया में पहला और विश्व में चौथा देश बन गया है, जो स्व-अनुसंधान पर निर्भर रहकर मंगल का अन्वेषण करने वाला देश है।