च्वाडं ब्रोकेड च्वाडं जाति की महिलाओं द्वारा कपास के सूतों का ताना और रंगीन कच्चे रेशम का बाना बनाकर बुना जाता है। जातीय विशेषता को झलकाने वाला यह कपड़ा आकर्षक होता है और इससे रजाई, पेटबन्द, दुपट्टे, शाल, मेजपोश, बड़े फीते और सजावट की चीजें बनाई जाती हैं।
बुनाई व कशीदाकारी में च्वाडं जाति की महिलाएं बहुत निपुण हैं। उनके द्वारा बुनी गई पोशाकें सुडं वंश(दसवीं शताब्दी) से ही दक्षिण चीन में मशहूर रही हैं और ब्रोकेड के सुन्दर लिबास बहुत पसंद किए जाते थे। मिडंवंश(चौदहवीं शताब्दी) में ब्रोकेड पर फूलों, आकृतियों, पक्षियों और जानवरों की डिजाइनें दिखाई देने लगीं। लेकिन 13वीं शताब्दी में जब चीन एक अर्ध-सामन्ती और अर्ध-औपनिवेशिक देश में बदल गया तो ब्रोकेड के उत्पादन में देहातों की उजड़ी अवस्था और जनता की गरीबी की वजह से गिरावट आ गई।
चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद पार्टी और सरकार ने अल्पसंख्यक जातियों के उद्योगों के विकास पर और उनके लिए खास आवश्यक माल पैदा करने पर बड़ा ध्यान दिया। च्वाडं ब्रोकेड का उत्पादन बढ़ाने के लिए अनेक नई मिलें निर्मित की गईं। ब्रोकेडों पर परम्परागत शैली के चित्रों "दो सिंहों का एक गेंद से खेलना"और "युगल अमर पक्षी"को फिर से बनाने के अलावा सुन्दर प्राकृतिक चित्र भी बनाए जाने लगे। आज इन ब्रोकेडों के कम्बल, परदे, कुरसी के गद्दे के खोल, दीवार पर टांगे जाने वाले की मीटर चौड़े परदे, सुन्दर बस्ते, सोफा की गद्दी और झोले बनाए जाते हैं।