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    चीन में पूंजी निवेश चाहते हैं भारतीय उद्ममी
    2014-09-17 19:08:44 cri

    चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने सितंबर के मध्य से ही पद संभालने के बाद अपनी पहली दक्षिण एशियाई यात्रा शुरू की, इसी दौरान उनकी भारत यात्रा सबसे ध्यानाकर्षक है। ब्रिक्स देशों के सदस्य के रुप में चीन और भारत के बीच आर्थिक आवाजाही अत्यंत महत्वपूर्ण है। चीन स्थित भारतीय दूतावास में डिप्टी चीफ़ ऑफ़ मिशन डॉ. बाला भास्कर ने हाल में हमारे संवाददाता के साथ हुए साक्षात्कार में कहा कि पिछले 10 सालों में चीन और भारत के बीच सहयोग का पर्याप्त विकास मिला है। उनका कहना है:

    "खासकर पिछले दस सालों में चीन-भारत संबंध का तेज़ विकास हुआ। चीनियों ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग स्थापित किए। ऐसा कहा जा सकता है कि दोनों देश किसी भी जगत पर सहयोग कर सकते हैं। पिछले 10 सालों में चीनी और भारतीय नेताओं के बीच 40 से अधिक बार मुलाकात हुई, जिससे घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध जाहिर हुए।"

    भास्कर ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास के लिए चीन की आवश्यकता ही नहीं, चीन से सीखने की भी जरूरत है। द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में भारत चीनी कंपनियों का स्वागत करता है।

    चीनी अंतरराष्ट्रीय व्यापार संवर्द्धन समिति के उप प्रधान यू फिंग ने कहा कि चीन और भारत आर्थिक क्षेत्र में एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों देशों के वाणिज्यिक और औद्योगिक जगत एक दूसरे के साथ व्यापारिक पूंजी निवेश व सहयोग मज़बूत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा:

    "पिछले वर्ष चीन और भारत के बीच व्यापारिक रकम 60 अरब डॉलर थी। द्विपक्षीय व्यापार में चीन का संतुलन मौजूद है। हमारी व्यापारिक संवर्द्धन समिति भारत से आयात को प्रोत्साहन देती है और द्विपक्षीय व्यापारिक संतुलन को बढ़ाना चाहती है। इसके साथ ही भारत में चीनी उद्योगों के निवेश को प्रोत्साहन भी देती है। मैं भारतीय औद्योगिक व वाणिज्यिक जगतों से चीन में बाज़ार आर्थिक निर्माण में सक्रिय रुप से भाग लेने और एशिया, विशेषकर पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के बाज़ारीकरण निर्माण प्रक्रिया में सकारात्मक रूप से हिस्सा लेने की अपील करता हूँ।"

    नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में मोदी के शासन में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई। हाल में पेइचिंग में गुजरात वाणिज्य व पूंजी निवेश संगोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें गुजरात सरकार के ऊर्जा व तेल रसायन विभाग के प्रथम सचिव एल. चुऔन्गो ने कहा कि बुनियादी संस्थापनों के निर्माण जैसे क्षेत्रों में पूंजी निवेश के लिए गुजरात चीनी कारोबारों का स्वागत करता है। उन्होंने कहा:

    "गुजरात का विकास अच्छा रहा है। भारत में हमारे प्रदेश की जनसंख्या 5 प्रतिशत है, जहां श्रमिक शक्ति ज्यादा है। भारत की जीडीपी में गुजरात का 7.5 प्रतिशत का हिस्सा है और निर्यात देश का 25 प्रतिशत बनता है। 1600 किलोमीटर लंबी समुद्र तटीय लाइन उपलब्ध होने के कारण गुजरात अच्छी बंदरगाह सेवा प्रदान कर सकता है। भौगोलिक स्थिति के अलावा गुजरात में अच्छा पूंजी वातावरण मौजूद है। यहां लोगों के पास अच्छी वाणिज्यिक विचारधारा हैं।"

    भारत में पूंजी निवेश के लिए क्या लाभ मिलेगा?इसकी चर्चा में चीनी उद्यमी लू रुतोंग ने कहा:

    "पूंजी निवेश की दृष्टि से देखा जाए, तो हम भारत में तेज़ आर्थिक विकास पर ध्यान देते हैं। विशेषकर बुनियादी संस्थापन निर्माण के क्षेत्र में चीनी कारोबार ज्यादा पूंजी लगा सकते हैं। भारत में बड़ा बाजार उपलब्ध हैं।"

    लू रुतोंग के विचार में चीन-भारत संबंधों का स्थिर विकास आर्थिक व व्यापारिक सहयोग के लिए बेहतर अनुकूल स्थिति तैयार कर सकेगा।

    (श्याओ थांग)

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