चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने स्थानीय समयानुसार 14 जुलाई को दोपहर बाद ब्राजील के फोर्टालेज़ा में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
शी चिनफिंग ने कहा कि चीन व भारत दो सबसे बड़े विकासशील देशों व नवोदित बाजार वाले देशों के रूप में राष्ट्रीय पुनरुत्थान की महान ऐतिहासिक प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। शांति व विकास दोनों देशों के लिए सबसे क़ीमती है। चाहे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या वैश्विक दृष्टि से चीन व भारत दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदार हैं, न कि प्रतिद्वंद्वी। हम प्रधानमंत्री मोदी के साथ दोनों देशों के रणनीतिक साझेदारी संबंधों को नये स्तर पर पहुंचाने और एशिया, यहां तक कि विश्व की शांति व स्थिरता को बनाए रखने को तैयार है।
शी चिनफिंग ने कहा कि चीन व भारत को आदान-प्रदान बढ़ाना चाहिए। उन्हें कुछ समय बाद होने वाली अपनी भारत यात्रा की प्रतिक्षा है। उन्होंने जल्द से जल्द चीन की यात्रा करने पर मोदी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को और घनिष्ठ विकास साझेदारी संबंध बनाना, संस्कृति, शिक्षा, धर्म, युवा आदि क्षेत्रों में मैत्रीपूर्ण सहयोग का विस्तार करना और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर का निर्माण बढ़ाना चाहिए। चीन एशियाई बुनियादी संस्थापनों से जुड़े निवेश बैंक में संस्थापक सदस्य के रूप में भाग लेने पर भारत का स्वागत करता है। दोनों पक्षों को सकारात्मक रवैये से मतभेदों का निपटारा करना और मैत्रीपूर्ण सलाह-मशविरे के जरिए सीमा से जुड़े विवादों का समाधान करना चाहिए।
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत की यात्रा के लिए अपने विशेष दूत विदेश मंत्री वांग यी को भेजा। जिससे यह स्पष्ट है कि चीन विकासशील देशों के साथ संबंधों को बहुत महत्व देता है। उनके नेतृत्व वाली भारत की नयी सरकार चीन के साथ मैत्रीपूर्ण सहयोग संबंधों को बढ़ाने को तैयार है, जो भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वे शी चिनफिंग के साथ घनिष्ठ कार्य संपर्क बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कुछ समय बाद भारत की यात्रा करने पर शी चिनफिंग का स्वागत किया।
मोदी ने यह भी कहा कि भारत सरकार आर्थिक निर्माण में जोर देती है। आशा है कि चीन के सफल अनुभवों से सीखते हुए अर्थव्यवस्था व व्यापार, संस्कृति, पर्यटन, शिक्षा, प्रतिभाओं की तैयारी आदि क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार किया जाएगा। भारत चीनी कंपनियों का भारत के रेलवे आदि बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में पूंजी लगाने के लिए स्वागत करता है। भारत एशियाई बुनियादी संसथापनों से जुड़े निवेश बैंक में भाग लेने पर विचार कर रहा है। भारत वर्तमान व्यवस्थाओं में मैत्रीपूर्ण सलाह-मशविरे के जरिए सीमा से जुड़े विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करने को तैयार है। भारत व चीन को अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों में समन्वय व सहयोग मजबूत करते हुए एशिया व विश्व की शांति, विकास व समृद्धि बढ़ानी चाहिए।