दक्षिण पश्चिम चीन के स छ्वान प्रांत में आड़ू फूल कविता गांव स्थित है , क्योंकि इस गांव के सभी वासियों को आड़ू पेड़ लगाना और कविता लिखना पसंद है , इसीलिये यह गांव आड़ू फूल कविता के नाम से जाना जाता है।
इस वर्ष में 72 वर्षिय बुजुर्ग चंग मिंग फांग स छ्वान प्रांत की राजधानी छंग तू शहर के लुंग छ्वान क्षेत्र के थाओ य्वान गांव रहने वाले हैं , अभी हम ने जिस आड़ू फूल कविता गांव का उल्लेख किया है , उस का असली नाम थाओ य्वान ही है। पर्यटकों ने इसी गांव का दूसरा नाम आड़ूफूल कविता गांव रख दिया। कहा जाता है कि 70 साल पहले एक वसंत ऋतु में अंगिनत आड़ू बागानों में आड़ू के फूल खिले हुए हैं , इस मनोहर प्राकृतिक दृश्य से प्रभावित होकर किसी आड़ू बागान के एक मालिक ने आसपास के आड़ू बागानों के मालिकों को एकत्र कर एक कविता सम्मेलन बुलाया , सम्मेलन में आड़ू किसानों ने तत्स्थल पर लिखी गयी कविताओं में शानदार पैदावार की अभिलाषा व्यक्त की और औजपूर्ण ग्रामीण जीवन का उत्साह के साथ गुणगान किया। फलस्वरुप अवकाश के समय में कविता लिखना और सुनाना इसी गांव के वासियों का सब से पसंदीदा मनोरंजक तौर तरीका बन गया है।
आड़ू फूल गांव लुंग छ्वान पर्वत की चोटी पर अवस्थित है। जब वसंत में पूरे पर्वतीय क्षेत्र में खिले हुए आड़ू फूल बहुत सुंदर नजर आते हैं और हजारों पर्यटकों को अपनी ओर लुभा लेते हैं । क्योंकि आड़ू फूल कविता गांव इसी लुंग छ्वान पवर्त की चोटी पर खड़ा हुआ है , इसलिये पर्वत के नीचे जब खिले आड़ू फूल झड़ जाते हैं , तो इसी गांव के चारों ओर उगे आड़ू पेड़ों पर खूबसरती फूल खिल जाते हैं और पूरा गांव आड़ू फूल समुद्र में डूब जाता है , ऐसे अद्भुत अनुपम प्राकृतिक दृश्य में ग्रामीण वासी अपनी भावना व्यक्त करने के लिये कविता लिखे बिना नहीं रह सकते। अतः यह गांव इस सुंदर आड़ू फूल कविता के नाम से भी जाना जाने लग गया है। संकरे पगडंडी रास्ते का अनुसरण करते हुए पर्यटक बड़ा साफ सुथरा और सुगठित आड़ू फूल कविता गांव पहुंच सकते हैं , इस गांव में नये निर्मित सुंदर ग्रामीण घर अपनी विशेष पहचान बना लेते हैं । हरेक आंगन के कमरों के दरवाजों और दीवारों पर कविताएं अंकित हुई हैं , इन कविताओं में प्रसिद्ध देशी विदेशी कवियों की कविताओं को छोड़ कर स्थानीय ग्रामीण कवियों की कविताएं उपलब्ध भी हैं।
यदि आप किसी ग्रामीण घर में प्रवेश करें , तो हो सकता है कि इस घर के आंगन में कविता प्रतियोगता हो रही होगी। जब आप उन से बातचीत करने लगे , तो वे बड़े गर्व के साथ आप को बता सकते हैं कि उन के गांव में सत्तर वर्ष के बुजुर्गों से छोटे बाल बच्चों तक के सभी लोग कविता लिखने के बड़े शौकिन हैं। जब फुरसत मिले , तो वे एकत्र होकर अपनी लिखी कविताएं सुनाते हैं और कविताओं लिखने में प्राप्त अनुभवों का आदान प्रदान करते हैं। हालांकि उन के द्वारा लिखी गयी कविताएं आम तौर पर सीधी सादी और सरल हैं , पर हरेक पंक्ति में ग्रामीण जीवन के प्रति किसानों की आश्वस्त मनोभावना और बुद्धिमता की झलक मिलती है। नयी जीवंत व स्पष्ट भावनाओं लिये कविताओं को सुनने से बेशक हम भी बहुत प्रभावित हो जाते हैं।
ग्रामीण वासियों ने हमें बताया कि उन की लिखी कविताएं पर्यटकों को बहुत पसंद आयी हैं। ग्रामीण विशेषता युक्त स्थानीय पर्यटन कार्य का विकास भी जोरों पर है , आड़ू फूल झेड़ने पर भी पर्यटक विशेष तौर पर आते हैं। ठीक ही कविता संस्कृति की परम्परा ने बहुत से प्रसिद्ध चीनी कवियों को आकर्षित किया है। चीन के मशहूर आधुनिक कवि शू थिंग , मांग का और लेइ शू य्येन इत्यादि यहां आये थे। इस गांव के ग्रामाण घर में अक्सर चीनी विख्यात हस्तियां भी इकट्ठे होकर लिपी कला और कविता करने जैसी गतिविधियां करती हैं , साथ ही गांववासी भी विविधतापूर्ण सांस्कृतिक गतिविधियां भी करते हैं , गांववासी इसी प्रकार की गतिविधि को आड़ू फूल जीविका कहते हैं। पर कविता संस्कृति ने इसी गांव में घर कैसे कर लिया । इस गांव के प्रधान व्ई फिंग ने अपनी विशेष समझदारी की चर्चा में कहा, इस का अर्थ नहीं है कि कोई भी कविता बड़ी आसानी से किसी भी ग्रामीण जमीन पर घर सकती है , पर हमारे गांव में कविताएं लिखने की परम्परा कैसे बनी है। क्योंकि चीनी इतिहास में आड़ू फूल कविताओं से घनिष्ट रूप से जुड़े हुए हैं , बहुत सी मशहूर चीनी प्राचीन कविताओं में आड़ू फूल का उल्लेख किया गया है। और तो और हमारे पूर्वजों को पुराने जमाने से ही कविताएं लिखने और सुनाने से विशेष लगाव है और यह परम्परा आज तक हमारे बीच में बनी रही है। साथ ही हमारा यह क्षेत्र शहर से काफी नजदीक है और ग्रामीण पर्यटन कार्य के विकास के लिये ज्यादा अनुकूल है , जिस से पर्यटन कार्य ने कविताओं को ग्रामीण पर्यावरण के साथ आत्मसात कर दिया है।
वर्तमान में आड़ू फूल कविता गांव में कविता पुस्तकालय स्थापित हुआ है और इंटरनेट पर चीनी आड़ू फूल कविता गांव मंच भी कायम हो गया है , चीनी कविता सोसाइटी ने इस गांव को चीनी ग्रामीण कविताओं का जन्मस्थान से सम्मानित कर दिया। लुंग छ्वान क्षेत्र की सरकारी प्रचार विभाग के उप प्रधान ख्वांग ली स्थानीय किसान कविओं की कविताओं को संकलित कर प्रकाशित करने के लिये प्रकाशन गृह के साथ सहयोग कर रहे हैं। अब तीन सौ आड़ू फूल कविताए नामक रचना प्रकाशित हो चुकी है । श्री ख्वांग ली ने कहा कि उन के दिल में कविताओं का रिश्ता ग्रामीण भावनाओं से तोड़ा नहीं जा सकता , यहां की स्थानीय जनता उन की ही तरह कविता भावना की खोज में संलग्न हैं।
लुंग छ्वान क्षेत्र में आड़ू पेड़ उगाने का इतिहास कोई दो हजार वर्ष पुराना है और वह प्रसिद्ध चीनी प्राचीन ग्रंथ कविता सूत्र के इतिहास से मेल खाता है तथा उस का आड़ू संस्कृति से गहरा संबंध भी रहा है । यहां के स्थानीय वासी पहाड़ी गीत गाना पसंद करते हैं और कविता लिखकर अपने सुखी जीवन का गुणगान करते हैं । वे नयी समाजवादी ग्रामीण भौतिक संस्कृति का निर्माण करने के साथ साथ मानसिक भावना यानी कविता भावना की खोज भर कर रहे हैं।
26 वर्षिय स्वंमसेविका लई च्येन इंग सछ्वान कृषि विश्वविद्यालय की स्नातक है। 2005 में विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वह इसी गांव में आयी। आड़ू फूल गांव में रहते रहते वह स्थानीय आड़ू फूल जीनव तौर तरीके के रंग में रंगी हो गयी है। अब उस ने अवकाश के समय में इसी भूमि के प्रति अपनी प्रेम भावना का गुणगान करने के लिये कविता भी लिखने लगी है। लेइ त्येन इंग ने आड़ू जन्मभूमि की जवानी नामक कविता में लिखा है कि यदि यह भूमि नहीं होती , तो पता नहीं कहां पर भटक , आस्मान इतना साफ सुथरा नहीं दिखाई देता और कहां से मिलती है विशाल खेतों की महक।
तीन हजार हैक्टर से विशाल आड़ू बागान पृथ्वी पर आड़ू फूल कविताओं से हरे भरे हुए हैं , कविता की यह पंक्तियां आड़ू फूल और आड़ू कविताओं तथा अपने वास्तविक जीवन के प्रति इसी गांव वासियों के प्रेमभाव का प्रतिबिम्ब ही है। आड़ू फूल ने प्राकृतिक दृश्य को और सौदर्य बना दिया ही नहीं , बल्कि किसानों की असीम काल्पनिक भावना भी पैदा की है।