"कूछिन" चीन का सात तन्तुओं वाला एक प्राचीन सारंगी वाद्य है। तीन हजार वर्ष पहले चओ राजवंश के दौरान यह वाद्य मध्य चीन के मैदानों में उभरा और चीनी बुद्धिजीवियों में बहुत प्रचलित हुआ। मगर आधुनिक काल में इसका पतन हुआ।
"कूछिन" में बहुत समृद्ध अभिव्यंजना शक्ति होती है। जिन लोगों को प्राचीन "कूछिन" की जानकारी है, उन को पश्चिमी हान राजवंश(206 ई.पू.—24 ई.) के एक गरीब युवा विद्वान सिमा श्याडंरू और अमीर परिवार की एक युवती च्चो वनचुन के बीच प्रेम की कहानी जरूर मालूम होगी: एक दिन सिमा श्याहरू "कूछिन" बजाकर च्वो वनचुन से प्रणय-प्रार्थना करता है और उन दोनों के बीच प्रेम पनप उठता है। अन्त में युवती उस जमाने की सामन्ती व्यवस्था के खिलाफ़ घर से भाग अपने जीवन-साथी के पास चली जाती है।
"कूछिन" का मुख्य भाग मुलायम काष्ठ से बना होता है और उसे सख्त काष्ठ के बने एक समतल आधार पर गोंद से चिपकाया जाता है। इस के मुख्य भाग पर रोगन किया जाता है तथा 13 छोटे ध्वनिलेख जुड़े होते हैं, जो स्वरमाला को निर्दिष्ट करते हैं। चीन में "कूछिन" बनाने वाले अनेक कुशल दस्तकार प्रकाश में आए हैं, उदाहरण के लिए थाडं राजवंश(618-907 ई.) के दौरान सछ्वान प्रांत के छडंतू शहर में "लेइ" परिवार के दस्तकार सब से मशहूर थे। इस परिवार के "कूछिन" श्रेष्ठ काष्ठ में बने हैं, उन की लय सुरीली और प्रभावी है। आज चीन में इस तरह के दो "कूछिन" उपलब्ध हैं, एक पेइचिडं के पुराने राज-प्रासाद संग्रहालय में और दूसरा शानतुडं प्रान्तीय संग्रहालय में सुरक्षित है।
चीन के पास "कूछिन" संगीत का एक समृद्ध भंडार मौजूद है।