पगोडा प्राचीन चीन में "बौद्ध-पगोडा" कहलाते थे। आम लोग उन्हें "बौद्ध-पगोडा" कहकर भी पुकारते रहे हैं। बौद्ध-पगोडों की निर्माण शैली भारत से आई, इस में बुद्ध का शरीर और अन्य धार्मिक चीजें रखी जाती थीं। चीन में बौद्ध-धर्म का प्रचार हान राजवंश(206 ई.पू.-220 ई.) में शुरू हुआ था। इस के साथ ही बौद्ध-पगोडा की निर्माण शैली भी चीन में आ गई। चीन में वह चीन के परम्परागत भवनों व इमारतों की शैलियों के साथ समन्वित हुई और इस तरह प्राचीन चीनी पगोडा निर्माण शैली सामने आई। पुराने जमाने में पगोडा लकड़ी के होते थे और आम तौर पर चौकोर होते थे। मगर थाडं राजवंश(618-907) और सुडं(960-1279) राजवंश काल में पगोडों का रूप बदलकर अष्टकोणी हो गया और सभी पगोडा ईंटों से बने। य्वान, मिडं व छिडं कालों(1271-1911) के दौरान पगोडा तरह-तरह के आकार-प्रकारों में बनने लगे, जैसे बारह किनारे वाले, "क्रास" शब्द जैसे, अन्दर से गोल व बाहर से चौकोर या बाहर से गोल व अन्दर से चौकोर आदि। पगोडा बनाने के लिए पत्थर, मिट्टी, तांबे, लोहे और रोगनदार खपरैलों का इस्तेमाल किया जाता था। चीन के प्राचीन पगोडा न केवल पुराने जमाने के समाज की स्थिति व धार्मिक गतिविधियों की कहानी कहते हैं, बल्कि एक मूल्यवान अवशेष भी हैं, जिस में चीन की उत्पादन तकनीक व वास्तुकला के विकास का रिकार्ड भी दर्ज है।
पहले ल्याओनिडं प्रांत में छीतान जाति के लोग सघन रूप से बसे हुए थे। ल्याओ राजवंश(916-1125) की स्थापना से पहले आदिम "ऊ" धर्म प्रचलित था, ल्याओ राजवंश की शक्ति के फैलाव के साथ साथ हान व छीतान जातियों के बीच संस्कृतियों का आदान प्रदान चला और छीतान में भी बौद्ध-धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ। हान जाति के लोगों ने ल्याओ राजवंश कालीन शहरों की स्थापना के साथ-साथ मंदिरों का निर्माण भी किया। ल्याओनिडं प्रांत में लगभग 70 प्राचीन पगोडा मौजूद है, जो ज्यादातर ल्याओ राजवंश काल में बने। मगर ल्याओ राजवंश के पगोडा आम तौर पर ईंटों से बने अष्ठकोणी व 13 मंजिलों वाले थे। इस तरह के पगोडों में भीतर सीड़ियां नहीं हैं, इसलिए लोग उन पर चढ़ नहीं सकते थे। इसी शैली पर चिन राजवंश(1115-1234) में भी पगोडा बने। इसलिए ल्याओ व चिन राजवंशों के दौरान पगोडा निर्माण का इतिहास अनोखा रहा। ल्याओनिडं प्रांत के पगोडा ज्यादातर अष्ठकोणी हैं, ईंटों से बने पगोडों के अलावा लौह व प्रस्तर पगोडा भी पाए जाते हैं।
ल्याओनिडं प्रांत के मशहूर पर्यटन स्थल छ्येनशान में "सरदार ककुडं" पगोडा, "आठ देवता" पगोडा, "ललित" पगोडा और अन्य बहुत से सुन्दर पगोडा हैं, जो घने जंगलों के बीच खड़े हैं। इन पगोडों का छायादार पर्यावरण और सुन्दर पर्वत पर्यटकों को विरल आन्द देते हैं।