"दुनिया की छत" छिडंहाए-तिब्बत पठार, जो आम तौर पर उत्तरी तिब्बती पठार कहलाता है, समुद्र की सतह से 4500 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, उस का क्षेत्रफल 8 लाख वर्ग किलोमीटर है। यह स्थान रेगिस्तान और घास-मैदानों का घर है और निर्जन है, पूरे साल में बर्फ से ढकी रहने वाली ऊंची चोटियां हैं, यहां दो हजार से ज़्यादा छोटी-बड़ी शीलें हैं, यहां की दृश्यावली अनोखी है।
उत्तरी तिब्बती पठार का जिक्र करते समय आम तौर पर यह माना जाता है कि वहां सर्दी अधिक और आक्सीजन की कमी होने की वजह से कोई जीव-जन्तु मौजूद नहीं होगा। वास्तव में ऐसी स्थिति के बावजूद यहां बहुत से जंगली जानवर पाए जाते हैं। पिछले चन्द सालों में उत्तर पश्चिम चीन में पशु-उद्धार, अनुसंधान प्रतिष्ठान के वैज्ञानिकों ने हजारों वर्ग किलोमीटर का रास्ता तय कर कई बार पठार का निरीक्षण किया और पता लगाया कि समुद्र की सतह से 5000 मीटर ऊंचे पठारीय इलाकों में जंगली सुरागाय, हिम-तेंदुए, अर्गली भेड़ और भूरे भालू मौजूद हैं। बर्फीले पहाड़ों, घास-मैदानों व झील वाले क्षेत्रों में झुंडों में तिब्बती जंगली गधे, तिब्बती कुरंग और तिब्बती गाजेल घूमते रहते हैं, दलदली मैदान में दुर्लभ काली गरदन वाले सारस रहते हैं, नदियों व झीलों में मछलियां तैरती हैं।
शोधकर्ताओं को कभी-कभी वनबिलाव, स्टेपी बिल्लियां, सियार, भेड़िए, ऊदबिलाव, हिममूष, लाल लोमड़ियां, रेत-लोमड़ियां भी दिखाई पड़ीं।"छोओ" झील में वैज्ञानिकों को एक पक्षी द्वीप का भी पता लगा, यह शायद दुनिया का सबसे ऊंचा पक्षी-द्वीप है। समुद्र की सतह से 4630 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस द्वीप का क्षेत्रफल बड़ा तो नहीं है, लेकिन यहां हजारों-लाखों भूरी गंगचिल्लयां, चितले कलगीदार हंस, पनकौवे और बत्तखें आदि जलीय पशु-पक्षी रहते हैं। शान्त उत्तरी तिब्बती पठार जगह-जगह जीवन-शक्ति से भरपूर है।