चौथे दिन सुबह हम लोग नीचे उत्तर गए और दोपहर को हाथी स्ना नकुंड देखने जा पहुंचे, जो पत्थर का 3 मीटर गहरा और 6 मीटर लम्बा एक वर्गाकार जल कुंड है। एकपौराणिक कथा के अनुसार बौद्ध धर्म के संस्थापक शाक्यमुनि के प्रथम शिष्य बौधिसत्व सामन्तभद्र हर बार यहां से गुजरते समय अपने हाथों को इस जलकुंड में स्नान कराते थे।
यहां बहुत से बंदर भी निवास करते हैं, जिन्हें मुक्ति के बाद भगा दिया गया था। लेकिन जब सरकार ने उनकी रक्षा करने का आदेश जारीकिया, तो वे फिर लौट आए। मैं हाथी स्नानकुंड के किनारे टहल रही थी कि एक बन्दर मेरे पास आ गया। देखते ही देखते बहुत से दूसरे बड़े-बड़े बन्दर भी आ पहुंचे। मैंने झटपट कुछ बिस्कुटों व मूंगफलियों को उनकी तरफ फैंका और अपने साथियों को बुला लिया। बंदरों ने एकदम सब चीज़ें खा लीं और खेलने लगे।
उसी दिन शाम को हम लोग पेड़ों के झुरमुट में छिपे श्येनफडं में जा पहुंचे। मंदिर के दाईं और कोई एक किलोमीटर दूर एक सीधी चट्टान के नीचे एक गुफ़ा बनी हुई है। कहा जाता है कि यहां प्राचीन काल में नौ वयोवृद्ध व्यक्तियों ने अपने भ्रमण के दौरान विश्राम किया था। यहां एक प्रकार के अद्भुत वृक्ष भी हैं, जिन के फूल तितली या कबूतर के आकार के नजर आते हैं। यहां से हम हुडंछुनफिडं विहार में गए। पहाड़ों से घिरा हुआ यह विहार गरमी से बचने के लिए एक आदर्श स्थान है। विहार के महाकक्ष में 2 मीटर ऊंचा एक कांसे का लैम्प लटका हुआ है, जिस पर 300 बौद्ध आकृतियां तथा बीलियों उड़ते ड्रैगन और कमल के फूल अंकित हैं। इन्हें बड़ी सूक्ष्मता व सजीवता से तराशा गया है।
हुडंछनफिडं विहार से 4 किलोमीटर नीचे उतरने के बाद एक गहरी घाटी आती है। यात्रों की सुरक्षा के लिए यहां कंकरीट का एक ऐसा पुल बनाया गया है, जिस पर रेलिंग लगी हुई है। पुल के नीचे एक सर्पाकार नदी का पारदर्शी जन कलकल बहता रहता है। दोनों सिरों पर सीधी चट्टानें खड़ी हैं। नीचे से देखने पर उन के बीच आकाश की केवल एक संकरी पट्टी नजर आती है। एक किलोमीटर और नीचे उतरने के बाद हम आलीशान छिडंइन मंडम में पहुंच गए, जिस के आसपास हरे-भरे पेड़ों के बीच खड़े कई भवनों को हाल ही में रंग-रोगन से सजाया-संवारा गया है।
इस मंडप के उत्तर में 5 किलोमीटर के फासले पर वानन्येन मंदिर है। इस के सामन्तभद्र महाकक्ष में,जिस का निर्माण मिडं राजवंश में वानली के शासन-काल में किया गया था, हाथी पर सवार सामन्तभद्र की एक विशाल कांस्य मूर्ति बनी हुई है, जिस की ऊंचाई 9 मीटर और वजन 62 टन है।