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300 विदेशी लोगों ने देखा"लॉन्ग मार्च की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रदर्शनी"
2016-10-16 16:57:54 cri


 

"वीर महाकाव्य और अविनाशी मील का पत्थर" शीर्षक प्रदर्शनी चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित हो रही है, जो चीनी लाल सेना के लॉन्ग मार्च की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में है। हाल में, करीब 300 विदेशी लोगों ने इस प्रदर्शनी में शरीक हुए, जिनमें चीन स्थित 30 से अधिक देशों के राजदूत भी शामिल थे। इन विदेशी मित्रों का कहना है कि लॉन्ग मार्च की भावना दृढ़ और मजबूत इरादे की भावना ही नहीं, देश के लिए योगदान देने की भावना भी है। प्रदर्शनी देखकर वे बहुत प्रभावित हुए।

इन विदेशी व्यक्तियों में चीन स्थित विभिन्न देशों के 160 राजदूत और चीन में कार्यरत 100 से अधिक विदेशी कर्मचारी शामिल थे। प्रदर्शनी पेइचिंग स्थित चीनी सैन्य संग्रहालय में आयोजित है, जिसमें फोटो, सांस्कृतिक अवशेषों, ऐतिहासिक ग्रंथों, तेल चित्रों और मूर्तियों से गत शताब्दी के 30 के दशक में चीनी लाल सेना के लॉन्ग मार्च की जानकारी दी गई। इसके साथ ही प्रदर्शनी में चित्रों के माध्यम से लॉन्ग मार्च के दौरान हुई 30 से अधिक कहानी दिखाई गई।

"बड़े कांस्य वाले घड़े की कहानी में लाल सेना के अधीन खाना पकाने वाली एक टुकड़ी में सभी 9 सैनिकों ने अपनी जान न्योछावर करने की कहानी सुनाई गई है।"

अक्तूबर वर्ष 1934 में चीनी सेना ने अत्यंत कठोर स्थिति से पार पाने के लिए लॉन्ग मार्च वाले रणनीतिक स्थानांतरण का अभियान किया। दो सालों के बाद यानी अक्तूबर 1936 में लाल सेना दक्षिण पश्चिमी चीन से पश्चिमोत्तर चीन तक पहुंची और इतिहास में एक साहस भरे अभियान यानि लॉन्ग मार्च पूरा कर विजय हासिल की ।

चीनी लाल सेना के सैनिकों को लॉन्ग मार्च के दौरान बहुत-सी मुसिबतों का सामना करना पड़ा था। प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं से विदेशी दर्शकों पर गहरी छाप पड़ी। चीन सरकार द्वारा प्रदत्त "मैत्री पुरस्कार" हासिल करने वाले सबसे युवा विजेता, चीनी मीडिया संस्था में कार्यरत अमेरिकी कर्मचारी एरिक निलस्सन (Erik Nilsson) ने कहा कि लाल सेना के बर्फिले पहाड़ों पर चढ़ने और घास के मैदान से गुज़रने के अनुभव के प्रति वे बहुत प्रभावित हुए। एरिक के विचार में लॉन्ग मार्च की जीत से विश्वास की शक्ति जाहिर हुई। उन्होंने कहा: "मेरी नज़र में लॉन्ग मार्च की जीत चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी जनता की दृढ़ता के साथ अथक प्रयास की भावना का द्योतक है। इतिहास का सिंहावलोकन करते हुए हम देख सकते हैं कि लॉन्ग मार्च के शुरु में लाल सेना में सैनिकों और उपकरणों का अभाव था, उनके पीछे शत्रुओं की खोज भी मौजूद थी। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत व आशा नहीं छोड़ी। अवश्य जीतने के विश्वास के साथ-साथ लाल सेना ने अंतिम जीत हासिल कर ली।"

27 वर्षीय रूसी युवा व्लादिमिर चुरुसोव के विचार में मौजूद प्रदर्शनी को देखने के बाद उन्हें लाल सेना के सैनिकों के सामने मौजूद मुसिबतों और कठिनाइयों को महसूस हुआ। मुसीबतों में उनकी बहादुरी, योगदान देने की भावना वर्तमान लोगों के लिए सीखने योग्य है। इस दृष्टि से देखा जाए, तो लॉन्ग मार्ग मानव जाति की समान मानसिक संपत्ति है। चुरुसोव ने कहा: "लॉन्ग मार्च की जीत से मुझे लगता है कि बहुत-से लोग एक ही समान उद्देश्य के लिए संघर्ष करना, किसी से नहीं डरते हुए अंतिम लक्ष्य को बखूबी अंजाम देने के लिए सब चीज़ का बलिदान देना, एक बहुत अच्छी और प्रोत्साहित करने वाली बात है।"

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