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आईसीसीआर के महानिदेशक के राजशेखर जी से एक खास मुलाकात में उन्होंने बताया कि भारत ने चीन के कला क्षेत्र में बहुत देर से एंट्री मारी है लेकिन चीन के कला और मनोरंजन जगत में भारत की पकड़ मज़बूत होगी, दोनों देशों के एक लंबे सफ़र की ये एक छोटी लेकिन बहुत अच्छी शुरुआत है जिसके सकारात्मक परिणाम हमें अभी से ही दिखाई दे रहे हैं, राजशेखर ने बताया कि आप खुद देख सकते हैं कि इस महोत्सव के लिये जो कार्यक्रम हमने आयोजित किया है उसकी सारी टिकटें पहले से ही बिक गईं बल्कि हमें उसी हॉल में अतिरिक्त कुर्सियों की व्यवस्था करना पड़ा है, ये चीन द्वारा बहुत ही जोश भरा स्वागत है भारतीय कला जगत के लिये।
बॉलीवुड एक्ट्रावेगेंज़ा जो नाम इस नृत्य-गान वाले कार्यक्रम को दिया गया था वाकई अपने नाम को सार्थक करता दिखा, कार्यक्रम के निर्माता संजय के. रॉय ने हमें बताया कि इस कार्यक्रम के आयोजन की पिछले तीन वर्षों से तैयारियां चल रही थीं कई स्तरों पर मुश्किलों का सामना करने के बाद अंत में सफलता मिली। बॉलीवुड एक्ट्रावेगेन्ज़ा के निर्माता संजय के. रॉय ने आगे बताया कि ऐसी उत्साहपूर्ण शुरुआत से ये आशा ज़रूर बंधती है कि भविष्य में भारत और चीन फिल्मी क्षेत्र में मिल जुलकर काम काम करेंगे। कहानी, तकनीक और बाज़ार तीनों क्षेत्रों में साझा तौर पर काम किया जा सकता है, एक तरफ़ जहां भारतीय फिल्म उद्योग हॉलीवुड के होते हुए भी दिनरात तरक्की करता जा रहा है और अपना बाज़ार बढ़ाता जा रहा है वहीं चीनी फिल्मों का बड़ा बाज़ार चीन में ही मौजूद है।
एक बड़ी संभावना की महत्वपूर्ण शुरुआत शांगहाई के 17वें चीन शांगहाई फिल्म महोत्सव में हुई है जिसमें इस शुरुआत में बहुत से पड़ाव आएंगे और बहुत सी ऊंचाईयां भी। लेकिन वो तभी संभव होगा जब इसमें निरंतरता बनी रहे। कला महोत्सव से जुड़े हर भारतीय अधिकारी और कलाकार को इस बात का पूरा भरोसा है कि कला के माध्यम से भारत और चीन के बीच लगातार प्रगाढ़ होते संबंधों में और बढ़ोतरी होगी।
(पंकज श्रीवास्तव)
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