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ल्यू द हाई

मशहूर चीनी संगीतकार ल्यू द हाई गत शताब्दी के पचास वाले दशक में उत्पन्न श्रेष्ठ वाद्यकारों के प्रतिनिधि हैं । चीनी लोग उन्हें चीनी परम्परागत तंतुवाद्य पिबा के उस्ताद मानते हैं ।

ल्यू द हाई का जन्म वर्ष 1937 में शांग हाई में हुआ । मिडिल स्कूल के समय से ही उन्हें चीनी जातीय संगीत पसंद आया और उन में असाधारण संगीत प्रतिभा प्रकट हुई । वर्ष 1950 में तेरह की उम्र में ल्यू द हाई चीनी परम्परागत वाद्य अर्हू और बांसुरी सीखने लगे और शांग हाई रेडियो के अवकाशकालीन जातीय संगीत दल में प्रवेश कर गए । वर्ष 1954 में उन्होंने मशहूर संगीतकार पिबा वाद्यकार लीन शी छङ से कला सीखी , और वर्ष 1957 में ल्यू द हाई चीनी केंद्रीय संगीत कॉलेज में प्रवेश कर विशेष तौर पर पिबा सीखने लगे ।

ल्यू द हाई की पिबा धुन बहुत सुरीली , शुद्ध , निपुण और उत्साहपूर्ण है । उन की प्रस्तुतियां दर्शकों पर गहरा प्रभाव डालती है । उन्होंने परम्परागत तंतुवाद्य पिबा बजाने में विभिन्न शैली के वाद्यकारों से सीखा और उन की शैलियों को मिश्रित कर अपनी ही विशेष शैली बनायी ।

चीनी परम्परागत वाद्य पिबा बजाने के समय ल्यू द हाई परम्परागत तरीके के आधार पर धुनों के विष्यों के अनुसार ऊंगली संचालन कला में सुधार लाने की कोशिश करते रहे। उन की कोशिशों से चीनी परम्परागत वाद्य पिबा की आवाज़ और मधुर व मोहिक हो गई ।

ल्यू द हाई की प्रमुख पिबा धुनों में प्राचीन धुन《 दस दिशा में घात 》,《वसंत कालीन सफेद बर्फ़》, आधुनिक धुन《लांग या शान पर्वत के पांच वीर यौद्धा 》,《यी जाती की नृत्य धुन》,《पहाड़ी गीत पार्टी के लिए》और《घास मैदान में दो बहनें》आदि बहुत लोकप्रिय हैं ।

संगीत को लोकप्रियता हासिल कराने ए ल्यू द हाई ने भारी कोशिश की , उन्होंने《ल्यू यांग ह नदी》,《दूर के मेहमान ठहरिए》,《छापामार दल का गीत 》और《मा लान फुल खिला 》आदि गीतों को पिबा धुन में रूपांतरित किया , जिन्हें दर्शकों की प्रशंसा हासिल हुई ।

इन के अलावा, ल्यू द हाई ने《 राजहंस》,《 नौजवान वृद्ध 》व《जन्मभूमि की यात्रा》आदि प्राचीन पिबा धुनों को सुधार कर नयी प्रस्तुति की , जिसे भारी सफलता प्राप्त हुई ।

वर्ष 1978 से वर्ष 1981 में ल्यू द हाई अमरीका के बोस्टन सिम्फोनी मंडली , पश्चिमी बर्लिन सिम्फ़ोनी मंडली तथा मशहूर संगीत निर्देशक ओज़ावा सेइजी के साथ सहयोग कर पेइचिंग, अमरीका, फ़्रांकफ़ोर्ट आदि क्षेत्रों में अपनी पिबा धुन《घास मैदान की दो बहनें》प्रदर्शित की, जिस ने देशी विदेशी दर्शकों की वाहवाही लुटी । ल्यू द हाई ने चीनी व पश्चिमी संगीत के मेल मिलाप का नया अध्याय जोड़ा ।

ल्यू द हाई को प्राप्त संगीत की कड़े पेशेवर ट्रेनिंग तथा लम्बे समय में संगीत के अध्ययन के व्यवहारिक अनुभवों से उन की प्रस्तुतियां ज्यादा प्रभावकारी होती है और उन का कला स्तर पराकाष्ठा पर है । वर्तमान में ल्यू द हाई चीनी संगीत कॉलेज के प्रोफ़ेसर के साथ चीनी संगीतकार संघ की स्थाई समिति के सदस्य और चीनी साहित्यकार व कलाकार संयुक्त संघ के सदस्य भी हैं । उन्होंने क्रमशः तीस से ज्यादा देशों व क्षेत्रों की यात्रा की और चीनी परम्परागत वाद्य पिबा के प्रचार प्रसार और पिबा के अंतरराष्ट्रीय आदान प्रदान के लिए भारी योगदान किया ।

[ल्यू द हाई की पिबा धुन]: 《दस दिशा में घात》

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