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घी की मुर्ति कला घी से कलात्मक मुर्ति बनाने वाली परम्परागत तिब्बती कला की विशेष विधि है ।इस कला से व्यापक विषयों में मुर्तियां बनायी जाती हैं ,जिन में बुद्ध शाक्यामुनी की जातक ,ऐतिहासिक कहानी ,लोककथा और ओपेरा कथानक शामिल हैं । सूर्य ,चांद ,तारा ,फूल ,घास ,पक्षी ,पशु , भवन मंडप ,विभिन्न देव देवता , राजवंशों के मंत्री व सेनापति और आम आदमी सभी इस कला के पात्र बन सकते हैं ।यह कला यथार्थवादी चित्रण पर बड़ा ध्यान देती है , सभी आकृतियां जीता जागता लगती है , जो एक ऊंचे कलात्मक स्तर पर जा पहुंचा है ।
पैमाने व वास्तविक प्रयोग की दृष्टि से घी की मुर्ति कला दो किस्मों में बांटी है ।पहली श्रेणी में मध्य व छोटे धार्मिक आलों में आराधना अर्पित करने में प्रयुक्त मुर्तियां आती हैं और दूसरी श्रेणी में प्रदर्शन के लिए निर्मित बड़े आकार वाली घी की मुर्तियां आती हैं ।घी की कलाकृतियां अनुपम ,उत्कृष्ट और रंगबिरंगी होती हैं ,जो शुभसूचक व मंगलसूचक होती हैं ,खासकर बड़े आकार वाली घी की मुर्तियां दसियों और सैकड़ों में प्रदर्शित कर दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं ।
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