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याओ एवं श्वन

लगभग 4000 से ज्यादा वर्षों से पहले, प्राचीन चीनी हान जाति के उत्पन्न होने की प्रक्रिया में चीनी राष्ट्र में क्रमशः कई मशहूर व्यक्ति पैदा हुए थे। वे थे, याओ, श्वन एवं व्यू।

याओ, प्राचीन चीनी पुस्तक "शांग शू और शी जी "में याओ को फांग श्वन का नाम दिया गया है। एक दूसरे मत के अनुसार का परिवार नाम छी शी था, और नाम था थाओ थांग, इसलिए, लोग याओ को थांग याओ भी पुकारते थे।

कहा जाता है कि याओ चीनी राष्ट्र के प्रथम राजा ह्वांग दी की संतान था। वह एक बहुत बुद्धिमान व दयालु आदमी था, जिसे लोगों का सम्मान मिला था। जब वह 16 वर्ष का था, तो उसे कबीले का सरगना चुना गया । इतिहास पुस्तकों के अनुसार, याओ ने अपने राजधानी को फींग यांग निश्चित किया, यानी आज के उत्तरी चीन के शान शी प्रांत के लिन फंग शहर थी। आज के लिन फंग शहर में चिन राजवंश(ईसवी 265 से 420 तक) का याओ मंदिर और थांग राजवंश द्वारा निर्माणित याओ कब्र अभी भी मौजूद है।

राजा बनने के बाद याओ ने अनेक सुयोग्य व्यक्तियों को पदोन्नत किया। उस ने जनता को एकजुट करके सरकारी अधिकारियों की जांच पड़ताल की । वह अधिकारियों की हरकतों के आधार पर उन्हें पुरस्कार देता था या सजा देता था। साथ ही उस ने विभिन्न कबीलों के बीच संबंधों का समन्वय करने पर भी बड़ा महत्व दिया । उस ने आम जनता को मेल जोल से रहने का आह्वान किया।

माना जाता है कि याओ के कार्यकाल में उस ने प्रथम बार पंचांग बनाया। इस पंचांग के अनुसार, श्रमिक कार्य कर सकते थे। इतिहास पुस्तकों में याओ के कार्यकाल को कृषि संस्कृति में उल्लेखनीय प्रगति हासिल करने वाला काल माना जाता है।

याओ के कार्यकाल में देश में अनेक बार बाढ़ आई थी। भारी बाढ़ ने पहाड़ों व मकानों को जल मग्न कर दिया था और जनता के दैनिक जीवन को भारी नुकसान पहुंचाया था। इस विपत्ति के सक्षम याओ ने इस पर बड़ा ध्यान दिया था और लोगों के मतों को सुना। याओ ने पूछा कि कौन बाढ़ का मुकाबला कर सकता था। लोगों ने शी का नाम लिया । इसलिए, याओ ने शी को बाढ़ का मुकाबला करने के लिए नियुक्त किया।

चीन की इतिहास पुस्तकों में याओ के कुंग फू पर भी अनेक कथाएं मिलती हैं। कहा जाता है कि याओ ने एक बार दक्षिणी बांग जाति से लड़ाई लड़ी थी। इतना ही नहीं, याओ ने ई को आदेश देकर नौ सूर्यों को भी धनुष से गिराया था। लोगों का याओ की कार्यवाइयों के प्रति लोग बहुत आभारी हैं , इसलिए, वे सब रा याओ को थ्येन ज़ यानी स्वर्ग का राजा मानते हैं।

राजा के पद पर 70 वर्षों के बाद याओ को महसूस हुआ कि उस का एक उत्तराधिकारी होना चाहिए। उस के अनेक सरकारी अधिकारियों ने श्वन को सब से उचित उत्तराधिकारी बताया। क्योंकि श्वन अपने वृद्ध परिजनों का सम्मान करता था। उस ने पारिवारिक संबंधों का अच्छी तरह निपटारा किया था और अपने परिजनों को बुरे कामों को छोड़कर अच्छे काम करने का सुझाव दिया था । याओ ने श्वन की निगरानी करने का निर्णय लिया।

याओ ने अपनी दो बेटियों अ ह्वांग और न्वू ईंग का श्वन के साथ विवाह करवाया और अपनी बेटियों के द्वारा श्वन की नैतिकता की निगरानी की। तथ्य तो यह है कि श्वन अ ह्वांग और न्वू ईंग के साथ वेई श्वेई नदी के किनारे रहता था और वे लोग मेल जोल से रहते थे।

याओ ने श्वन को आदेश दिया कि वह राज्य की जनता के लिए पिता , माता , बड़े भाइयों, छोटे भाइयों और बेटों के संदर्भ में आदरणीय नैतिकताएं निश्चित करे। इस के बाद याओ ने श्वन को सरकारी अधिकारियों का प्रबंध करने और राजनीतिक मामलों का निपटारा करने का आदेश भी दिया। अंत में याओ ने श्वन को खुद ही पहाड़ों के जंगल में सौंपा, और श्वन ने प्रकृति की परीक्षा में स्वयं को डाला और सफल हुआ।

तीन वर्षों के निरीक्षण के बाद याओ ने अपने पद को श्वन को देने का निर्णय लिया।

श्वन ने उत्पादन का विकास किया और अनेक सुयोग्य व्यक्तियों को अपने सरकारी अधिकारी के रुप में नियुक्त किया। श्वन के कार्यकाल में कृषि व उद्योग की तकनीक में अपेक्षाकृत भारी प्रगति हुई थी। देश का प्रशासन करने में श्वन ने अपनी करनी व कथनी से लोगों को प्रभावित किया और वह जनता के सुखः दुख में बराबर शरीक रहता था। श्वन के राज्य में जनता को रोटी, कपड़े, मकान की कोई चिंता नहीं थीं। चाहे राजनीति हो, उत्पादन हो या कला हो, श्वन का शासन काल एक बहुत ही शानदार काल था। श्वन ने अपने पद को व्यू को सौंपा।

110 वर्ष की उम्र में श्वन का देहांत हुआ। अब हू नान प्रांत की नींग व्येन काऊंटी के दक्षिण में 60 किलोमीटर की दूरी पर च्यो ई शेन पहाड़ पर श्वन का मकबरा है। याओ और श्वन की उच्च व श्रेष्ठ नैतिकता को पीढ़ी दर पीढ़ी के लोगों का गुणगान प्राप्त हुआ है।

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