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प्यान छ्यो से राजा की बीमारी का निदान
प्राचीन काल में चीन का मशहूर चिकित्सक प्यान छ्यो राजा छाई ह्वान्कोंग से मुलाकात करने गया , राजा के बगल में कुछ समय निहारने के बाद उस ने राजा छाई ह्वान्कोंग से कहा कि महा राजा , आप के त्वच पर थोड़ी मामली बीमारी है , यदि समय रहते इस का इलाज नहीं किया जाए , तो बीमारी शरीर की इंद्रिए में घुस जाएगी । लेकिन छाई ह्वान्कोग को पयान छ्यो की बातों पर विश्वास नहीं हुआ , उस ने कहा कि मेरी कोई भी बीमारी नहीं है । प्यान छ्यो के चले जाने के बाद राजा छाई ह्वान्कोंग ने अपने मंत्रियों से कहा कि चिकित्सों को सभी लोगों को बीमारी से पीड़ित बताने की आदत हैं , ताकि अपना योगदान दिखा कर इनाम मांग सके ।

दस दिन के बाद प्यान छ्यो फिर राजा छाई ह्वान्कोंग के पास गया , उस ने राजा से कहा कि महा राजा , आप की बीमारी मांसपेशी के अन्दर विकसित हो गई है , यदि समय पर उपचार नहीं किया जाए , तो ज्यादा गंभीर हो जाएगी । राजा ने फिर भी नहीं माना और प्यान छयो विवश हो कर चला गया , राजा छाई ह्वान्कोंग काफी नाखुश रहा ।

फिर दस दिन गुजरा , प्यान छयो फिर राजा के पास गया , राजा का चेहरा निहारते हुए उस ने कहा कि महा राजा , आप की बीमारी पेट के अन्दर घुस गई है , इलाज नहीं किया जाने पर वह कहीं अधिक गंभीर हो जाएगी । छाई ह्नान्कोंग ने इस बार भी उस की बात नहीं मानी ।

और दस दिन चले गए, प्यान छ्यो राज महल में पहुंचने पर दूर से छाई ह्वान्कोंग के चेहरे का रंग ताका और मुड़ कर वापस चला गया । राजा छाई ह्वान्कोंग को बड़ा आश्चर्य हुआ और आदमी भेज कर प्यान छ्यो से एक शब्द भी न कह कर वापस चले जाने का कारण पूछा । तो प्यान छ्यो का जवाब आया कि त्वच पर पड़ी बीमारी का इलाज काढ़ा औषधि के सेवन या गर्म लेप लगाने से किया जा सकता है , जब बीमारी मांसपेशी में विकसित हो गई , तो सुई चुभन से उस का उपचार किया जा सकता है , बीमारी पेट के अन्दर जब घुस पड़ी , तो भी कुछ ज्यादा काढ़ा से सफल इलाज हो सकता है , लेकिन जब बीमारी मज्जे के भीतर घर कर गयी , तो महज यमराज उस रोगी को जान से बचा सकता है , हमारे चिकित्स जैसे लोग नाचार होंगे । मेरे निदान से राजा की बीमारी अब मज्जे में विकसित हो गई है , इसलिए मैं कुछ भी नहीं कर सकता हूं ।

पांच दिन बाद , राजा छाई ह्वान्कोग के पूरे शरीर में दर्द पीड़ा शुरू होने लगी , उसे प्यान छ्यो बुलाने के लिए आदमी भेजा , तब प्यान छ्यो छाई राज्य से भाग चला जा चुका था । फिर ज्यादा दिन नहीं गुजरा था कि राजा छाई ह्वान्कोंग बीमारी के कारण मर गया ।

इस नीति कथा से यह शिक्षा मिल सकती है , जब कभी बीमारी पड़ी या गलती निकली , तो समय पर उसे ठीक किया जाना चाहिए , वरना जान का खतरा जरूर पैदा होता है ।

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