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हालांकि चीन का भूमि क्षेत्रफल 96 लाख वर्ग किलोमीटर है, लेकिन खेती उपयोगी क्षेत्रफल केवल 12 लाख 70 हजार वर्ग किलोमीटर है जो विश्व की खेती का सात प्रतिशत ही बनता है। चीन प्रमुखता कृषि प्रधान देश है और उसकी मुख्य उपज धान, गेहुं, मकई और सोयाबीन आदि अनाज फसले हैं , नकदी उपजों में कपास,मूंगफली, सरसों, गन्ना और सुगर बीट आदि फसलें गिने जाते हैं।
चीन के कृषि का तेज विकास वर्ष 1978 में ग्रामीण सुधार के बाद से शुरू हुआ था। पिछले 20 सालों में , चीन ने ग्रामीण सुधार में सामूहिक व्यवस्था के ढांचे के आधार पर, बाजार को अपनी दिशा बनाए रखे हिम्मत से परम्परागत व्यवस्था से जकड़े बन्धों को तोड़कर, आर्थिक बाजार की नयी स्थिति के अन्तर्गत सामूहिक आर्थिक का एक नये सुधार रास्ते की खोज का पता लगाने में सफलता प्राप्त की है। ग्रामीण सुधार से किसानों को वास्तविक लाभ मिला और ग्रामीण उत्पादन शक्ति को मुक्त करा कर उसके विकास को तेज गति प्रदान की है , जिस से कृषि विशेषकर अनाज उत्पादन तेज गति से बढ़ती रही है , इस के अलावा ग्रामीण सुधार से आर्थिक ढांचेगत को निरंतर श्रेष्ठ बनाने की कोशिशों की बदौलत , चीन के कृषि को निरंतर उल्लेखनीय सफलताए हासिल हुई हैं। वर्तमान चीन अनाज, कपास, सरसों के बीज की फसल , तम्बाकू , मांस, मात्सय पालन व सब्जियों के उत्पादन में दुनिया के प्रथम स्थान पर है।
इधर के सालों में चीन सरकार ने कृषि को अपने कार्य का सबसे अति महत्वपूर्ण स्थान पर रखा है और कृषि निवेश में ही नहीं किसानों की आय को उन्नत करने पर भी निरंतर भारी बल दिया है, ताकि ग्रामीण व शहर के समन्वय विकास में धीरे धीरे मेल बिठाने की प्रक्रिया निरंतर बेरोकटोक से विकसित होती रहे।
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