दुनिया के विभिन्न देशों में आजकल प्रयोग होने वाली भाषाओं में अगर चीनी अक्षरों की बात करें तो वे गैर वर्णानुक्रमी होते हैं। चीनी अक्षरों की उत्पत्ति के बारे में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं। यह कहा जाता है कि प्राचीन समय में छांग चिय नाम के एक ब्यक्ति को चीनी लिपि अक्षरों की खोज करने की प्रेरणा गीली मिट्टी में चिड़िया के पद चिन्ह देखने से मिली। इसके बाद उसने सबसे पहले चीनी चित्र लिपि बनाए।
बाद में नये चीनी पुरातत्ववेत्ताओं ने चीन के शांगतोंग प्रांत की चू काउंटी में लिंगयांग नदी के निकट मकबरे से बड़ी संख्या में कई अवशेष खोज निकाले। उन्होंने देखा कि कुछ बर्तनों में चीनी चित्र लिपि अक्षर उकेरे गए थे। शोध से पता चला कि वे शब्द साढ़े चार हजा़र वर्ष से भी ज्यादा पुराने होने के साथ-साथ प्रथम चीनी अक्षर भी हैं।
चीनी अक्षरों को ठीक तरह से पहचानने में लोगों की मदद करने के लिए चीन सरकार ने वर्ष 1958 में“चीनी पिनयिन कार्यक्रम ”प्रकाशित किया। इस कार्यक्रम में चीनी अक्षरों को चीनी उच्चारण के अनुरूप प्रदर्शित करने के लिए प्राचीन रोम की भाषा (लैटिन) अक्षरों को अपनाया गया।
“चीनी पिनयिन कार्यक्रम ”चीनी अक्षरों के उच्चारण को दर्शाने वाला एक प्रतीक है, जिसमें दो भाग हैं, जिन में स्वर व ब्यंजन रखे गए, व्यंजनों की संख्या 21 व स्वर 39 है।”