04 दर्शनीय स्थल--च्येन त्स मठ की कहानी

2017-10-17 20:52:01 CRI

04 दर्शनीय स्थल--च्येन त्स मठ की कहानी

दर्शनीय स्थल--च्येन त्स मठ की कहानी 晋祠故事

उत्तर चीन के शानशी प्रांत की राजधानी थाई युआन(Tai yuan) के उप नगर में स्थित च्येन त्स मठ देश के प्रसिद्ध प्राचीन उद्यानों में से एक है।

च्येन त्स मठ थाई युआन के दक्षिणी उप नगर में खड़े श्वान वङ (Xuan weng) पहाड़ की तलहटी में स्थित है, जहां से चिन श्वेइ (Jin shui) नदी का पानी निकलता है। पहाड़ों और नदियों से घिरे मठ में करीब सौ भवन, महल, मंडप, मंच, पुल और कृत्रिम पहाड़ देखने को मिलते हैं। इस सुन्दर रमणीक स्थान के बारे में बड़ी रोमांचक ऐतिहासिक कथा प्रचलित है।

ईसा पूर्व 1064 में चीन के प्राचीन चोउ राजवंश के संस्थापक सम्राट चोउ वुवांग की शांग राजवंश का अंत करने के बाद दूसरे साल मृत्यु हो गयी। उसका पुत्र ची सोंग(Ji Song) राजा की गद्धी पर बैठा, जो चीन के इतिहास में चोउ छङ वांग कहलाता है।

कहा जाता है कि चोउ छङ वांग जब राजा बना, वह एक छोटा बच्चा था। चोउ राजवंश का प्रमुख मंत्री चोउ कोंग रोज़ उसे अपनी पीठ पर राज महल   ले जाता था और राज्य के मामलों का निपटारा करने में राजा छङ वांग की मदद करता था। राजा उम्र में बहुत छोटा होने की वजह से राज सत्ता की बागडोर चोउ कोंग के हाथ में थी। वह एक बड़ा वफ़ादार मंत्री था, उसने राजा की मदद के लिए राज्य में हुए कई विद्रोह शांत किए और छोटे राजा को नेक शासक बनने की शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

एक दिन, बालक सम्राट छङ वांग और उसका छोटा भाई शु यु(Shu Yu) दोनों राजमहल के पिछले आंगन में खेल रहे थे। उसने पेड़ का एक पत्ता पदाधिकारी सूचक तख्ते के आकार में काटकर अपने भाई शु यु को दिया और कहा:“मैं तुम को एक जागीर दूंगा।”

खबर चोउ कोंग के पास पहुंची। कुछ दिन बाद चोउ कोंग ने चोउ छङ वांग से उचित समय निश्चित कर शु यु को जागीर प्रदान करने की आज्ञा देने का आग्रह किया। चोउ छङ वांग ने हंसते हुए कहा:“मैं उसके साथ मजाक कर रहा था।”

लेकिन चोउ कोंग ने गंभीरता से कहा:“राजा इस तरह की बातें नहीं कर सकता, उसकी बातें राजवंश का इतिहासकार कलमबंद करता है, मंत्री और अधिकारी उसका पालन करते हुए प्रसारित भी करते हैं।”

चोउ छङ वांग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और थांग (Tang) नाम का एक जागीर अपने छोटे भाई को भेंट कर दी। यह चीन के इतिहास में एक मशहूर कहानी बनी।

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तत्कालीन थांग जागीर आज के शानशी प्रांत की यी छंग(Yi Cheng) काउंटी की जगह पर थी। बड़ा होने के बाद चोउ छङ वांग का छोटा भाई शु यु अपनी जागीर थांग पर राज करने लगा। उसने वहां खेती का विकास किया, सिंचाई संस्थापनों का निर्माण किया, जिसके चलते वहां की प्रजा सुखचैन से रहने लगी। शु यु के प्रशासन की लोगों ने बहुत सराहना की। उसके पुत्र श्ये फ़ू (Xie Fu) ने वहां का सम्राट बनने के बाद जब देखा कि च्येन श्वेइ नदी के पानी से सिंचित थांग की भूमि अच्छी तरह प्रजा को खिलाती है, तो उसने थांग का नाम बदलकर च्येन(Jin) रख दिया। इसके उपरांत शानशी प्रांत का नाम च्येन पड़ गया। शु यु की स्मृति में च्येन राज्य के लोगों ने च्येन श्वेइ नदी के उद्गम स्थल पर एक मंदिर बनाया, और उसका नाम रखा शु यु मठ। जो बाद में च्येन त्स मठ के नाम से मशहूर हो गया।

च्येन त्स मठ के निर्माण का समय अब तक निश्चित नहीं हो पाया है। उसके बारे में सबसे पुराना ऐतिहासिक उल्लेख सन् 466 से 572 तक के पेई वेइ (Bei Wei) राजवंश में प्रकाशित नद पर्वत वृतांत में मिलता है। यदि च्येन त्स मठ का इतिहास पेई वेइ के समय से गिना जाए, तो भी वह एक हजार पांच सौ साल ज्यादा पुराना है। लम्बे कालांतर में च्येन त्स मठ का कई बार जीर्णोद्धार किया गया और विस्तार भी किया गया, जिससे उसके स्वरूप में व्यापक बदलाव आया।

सन् 646 में थांग राजवंश के दूसरे सम्राट ली शमिन ने च्येन त्स मठ में एक मशहूर शिलालेख लिखा और उसका बड़े पैमाने पर पुनःनिर्माण करने की आज्ञा दी। ईस्वी 11वीं शताब्दी में सोंग राजवंश के सम्राट ने शु यु की मां यी च्यांग (Yi Jiang) की याद में एक विशाल देवी-मां का भवन बनवाया। इसके बाद देवी-मां भवन को धुरी मानकर चारों ओर कई वास्तु निर्माण किए गए, जिनमें जल दर्पण मंच, देवता मंच, स्वर्ण मानव मंच और अमृत तालाब मंडप जैसे विभिन्न कालों के निर्माण शामिल हैं। विभिन्न कालों में निर्मित निर्माण बड़े अनोखे रूप से एक दूसरे की शोभा बढ़ाते हैं, वे मंदिर के भवन और आंगन जैसे लगते हैं और राजमहल के भवन समूह भी समान दिखते हैं।

च्येन त्स मठ में विभिन्न ऐतिहासिक कालों के सुन्दर वास्तु निर्माणों के अलावा चोउ राजवंश (ईसा पूर्व1046—ईसा पूर्व 256 तक) के देवदार के वृक्ष और स्वेइ राज्य(581-618) काल के चीड़ के वृक्ष उगे हैं।  

कहा जाता था कि चोउ राजवंश का देवदार के वृक्ष ईसा पूर्व 11वीं से आठवीं शताब्दी तक लगाये गये थे, जो देवी-मां भवन के बाये भाग में खड़े हैं। पेड़ जमीन से 40 डिग्री का कोण बनाए खड़े हैं, जो भवन को पूरी छाया देते हैं। चोउ राज्य के देवदार के वृक्ष अब तक तीन हजार साल पुराने हो गये हैं और स्वेइ राज्य के चीड़ के वृक्ष एक हजार पांच सौ साल पुराने हैं। ये प्राचीन पेड़ आज भी हरे भरे और मजबूत नज़र आते हैं। उनकी हरियाली और मठ में बल खाते बहते झरने के स्वच्छ पानी से अद्भुत सुन्दर प्राकृतिक समा बन जाता है। च्येन त्स मठ चीन का एक आकर्षक दर्शनीय स्थल बन चुका है।

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