02 पंच देवी पहाड़ की कहानी

2017-08-15 19:37:01 CRI


02 पंच देवी पहाड़ की कहानी

पंच देवी पहाड़ की कहानी 五座神山

"पंच देवी पहाड़"एक पौराणिक कहानी है, इसे चीनी भाषा में"वू च्वो शन शान"(wǔ zuò shén shān) कहा जाता है। इसमें"वू च्वो"का मतलब होता है पाँच, ज्बकि"शन शान"का अर्थ है देवी पहाड़।

चीनी पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मांड की रचना के समय पृथ्वी पर मानव नहीं था, उसके आदिम पूर्वज न्यु-वा ने अपने हाथों से मानव के मिट्टी के पुतले बनाकर उन्हें जीवन प्रदान किया था। पृथ्वी पर मानव का जन्म होने के बाद लम्बे समय तक शांति कायम रही। अचानक एक दिन जमीन और आसमान एक दूसरे से टकरा गए, आसमान में एक बड़ी दरार पड़ गयी और जमीन में विस्फोट हुआ, जमीन के फटने से तपती लावे की लपटें भू-तल से निकल आई, जिसने जंगलों को अपनी चपेट में ले लिया, बाढ़ घाटी के भीतर से बाहर आ गयी, जिससे पहाड़ प्रवाहित हो गए, भूत प्रेत और नरसंहारी जानवर खून खराबा मचाने लगे, मानव भारी संकट में पड़ गया।

मानव की हाहाकार न्यु-वा के कानों तक पड़ी। उसने सबसे पहले भूत प्रेतों तथा नरसंहारी जानवरों को मारकर खत्म किया। बाढ़ के प्रकोप को शांत कर दिया और फटे हुए आसमान की मरम्मत करना शुरू किया।

न्यु-वा ने विभिन्न स्थानों से घास, लकड़ी बटोर कर आसमान की दरार के पास रखे, जब घास और लकड़ी का ढेर आसमान तक ऊंचा जा पहुंचा, तो न्यु-वा ने आसमान के रंग सरीखे नीले पत्थर ढूंढना आरंभ किया, जमीन पर पर्याप्त नीले पत्थर नहीं मिलते थे, तो वह सफेद, पीले, लाल और काले पत्थर भी लाया और सभी पत्थरों को ईंधन के ढेर पर रख दिया। फिर उसने भूतल से निकली लावे की आग से घास, लकड़ी जलायी, लकड़ी में आग धधकने लगी, जिससे सारा ब्रह्मांड जगमगा उठा, पांच रंगों के पत्थर लाल लाल हो गए, धीरे धीरे पिघलने लगे, जिसने गाढ़े पानी के रूप में आसमान पर पड़ी दरार को भर दिया, जब ईंधन खत्म हुआ, तब आसमान की दरार भी पूरी तरह भर गयी।

फटे आसमान की ठीक मरम्मत की गई, लेकिन उसका मूल रूप वापस नहीं आ पाया, इसी कारण से आसमान उत्तर पश्चिम की दिशा में थोड़ा तिरछा हो गया, तो सूरज और चांद उत्तर पश्चिम की दिशा में घूमने लगे, दक्षिण पूर्व की जमीन पर एक गहरा गड्ढ़ा नजर आया, जिसकी ओर सभी छोटी बड़ी नदियां बहते हुए जा मिली, वहां असीम जल राशि एकत्र होकर समुद्र में बदल गयी।

पो हाई समुद्र के पूर्व में एक गहरा गड्ढा था, जिसके तल का कोई पता नहीं था, गड्ढे का नाम था क्वी श्यु (Gui Xu)। ज़मीन का पानी हो या समुद्र का पानी सब इस गहरे गड्ढे के अन्दर जा मिलता था, लेकिन क्वी श्यु गड्ढा कभी भी भर नहीं पाया, उसका पानी हमेशा बराबर दिखता था, न उसका स्तर बढ़ा, न ही कमी आई, इसलिए मानव उससे हमेशा सुरक्षित रहा।

क्वी श्यु गड्ढे में पांच देवी पहाड़ थे, जिनके नाम थे ताई यु (Da yu), युआन छियाओ (Yuan qiao), फ़ांग हू (Fang hu), यिंग चो (Ying zhou) और फङ लाई (Peng lai)। हर पहाड़ तीस हज़ार मील ऊंचा था, वे एक दूसरे से सहत्तर हजार मील दूर थे। पहाड़ पर सोने से निर्मित महल थे, जेड की जंगल थे, वहां बहुत से देवता रहते थे ।

देवी पहाड़ों में सभी पशु पक्षी श्वेत रंग के थे, अनोखे वृक्ष थे, पेड़ पौधों के फल मोती और रत्न की भांति स्वादिष्ट थे, उन्हें खाने से मानव दीर्घायु हो सकता था। देवता स्वच्छ व सफेद वस्त्र पहनते थे, पीठ पर छोटे से पंख थे, वे समुद्र के ऊपर और आकाश में पक्षी की तरह उड़ते विचरते थे और रिश्तेदारों व मित्रों से मिलते थे, उनका जीवन बहुत खुशमय था।

आनंदित जीवन में थोड़ी परेशानी भी थी, यानी ये पांच देवी पहाड़ समुद्र की सतह पर तैरते थे, जिसकी जड़ नहीं थी। जब समुद्र में तूफान आता, तो पहाड़ प्रवाहित होकर इधर-उधर बहते थे, जिससे देवताओं को बड़ी असुविधा हुई। इस समस्या के हल के लिए देवताओं ने स्वर्ग लोक के सम्राट से अपनी इस परेशानी की शिकायत की।

स्वर्ग सम्राट को भी डर था कि कहीं ये पांच पहाड़ आसमान के दूर दराज छोर तक न बह जायें और देवता बेघर तो न हो जायें, इसलिए उसने समुद्री देवता यु छ्यांग (Yu Qiang) को पन्द्रह भीमकाय कछुवे भेजने का आदेश दिया। पन्द्रह भीमकाय कछुवों ने पांचों पहाड़ों को अपनी पीठ पर रखा, एक कछुवे की पीठ पर एक पहाड़, और अन्य दो कछुवे उसके पास रक्षा के लिए पहरा देते रहे, हर साठ हजार साल बाद उनका काम बदला जाता था। इससे देवी पहाड़ स्थिर हो गए, उस पर रहने वाले देवताओं की खुशी का ठिकाना न रहा।

एक अशुभ वर्ष लोंग पो (Long Bo) नाम का भीमकाय मानव क्वी श्यु में मछली मारने आया। उसका शरीर देवी पहाड़ जितना विराट था, उसने मछली फंसाने वाली बंशी पानी में डाली, और लगातार समुद्र के तल से छह कछुवों को बाहर निकाल लिया। ये छह कछुवे पीठ पर पहाड़ ले जाने वाले थे। भीमकाय मानव किसी की परवाह न कर सभी कछुवों को घर ले गया। कछुवा खो जाने के बाद ताई यु और युआन छ्याओ नाम के दो पहाड़ हवा की झोंक से उत्तरी ध्रुव तक बह गए और वहां समुद्र में जलमग्न हो गए। इससे इन दो देवी पहाड़ों पर रहने वाले देवताओं का होश उड़ गए, वे घबराते हुए पहाड़ को छोड़कर भागे और अपनी वस्तु लिए आकाश में इधर-उधर उड़ते फिरे और थकान से चूर हो गए।

स्वर्ग सम्राट को जब यह बात पता लगी, तो उसे बड़ा क्रोध आया और उसने लोंग पो राज्य के लोगों को कद में छोटा करवाया, ताकि वे फिर अहितकारी काम न कर सकें। कछुवे पर जो अन्य तीन देवी पहाड़ बचे थे, वे सही सलामत रहे, जो अब भी चीन के पूर्वी भाग की समुद्र तटीय भूमि पर शान से खड़े रहते हैं।


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