016 तलवार की खोज के लिए नाव पर निशान बनाना

2017-02-20 19:38:44 CRI

016 तलवार की खोज के लिए नाव पर निशान बनाना

狡猾的蝙蝠 चालाक चमगादड़

"चालाक चमगादड़"को चीनी भाषा में"च्याओ हुआ द प्यान फ़ू"(jiǎo huá de biān fú) कहा जाता है। इसमें"च्याओ हुआ द"विशेषण शब्द है, जिसका अर्थ होता है"चालाक", जबकि"प्यान फ़ू"चमगादड़ है।

चीनी लोगों की मान्यता के अनुसार पक्षियों का राजा अमर पक्षी था। एक दिन अमर पक्षी अपना जन्म दिन मना रहा था। जंगल के सभी पक्षी बधाई देने आ पहुंचे, पर सिर्फ चमगादड़ नहीं आया।

अमर पक्षी को बड़ा गुस्सा आया, उसने चमगादड़ को बुला कर उस पर नाराजगी प्रकट की:"तुम मेरी प्रजा हो, तुम्हारी यह हिम्मत कैसे हुई कि मेरे जन्म दिन पर भी तुम नहीं आए।"

चमगादड़ ने अपने दोनों पांव दिखाते हुए कहा:"मेरे शरीर में जानवर के पांव होते हैं, मैं पशु-राज्य की प्रजा हूं। आप के पक्षी-राज्य को मुझ पर शासन करने का अधिकार नहीं है।"

कुछ दिन के बाद पशु राज्य के राजा छी लिन का जन्म दिन आया। छी-लिन एक काल्पनिक जानवर है, जो चीनी लोक मान्यता के अनुसार जानवरों का राजा है। उसके जन्म दिन पर बधाई देने के लिए सभी जानवर पहुंचे, लेकिन चमगादड़ की सूरत फिर नहीं दिखी।

छी लिन ने उसे बुला कर फटकारा:"तुम मेरी प्रजा हो, तुम्हारी ऐसी हिम्मत कि मेरे जन्म दिन पर नहीं आए।"

चमगादड़ ने पंख फड़फड़ा कर कहा:"मेरे पंख होते हैं, मैं पक्षी-राज्य की प्रजा हूं, आप के पशु-राज्य का क्या अधिकार है कि मुझे बधाई देने आने का हुक्म दे।"

एक दिन अमर पक्षी और छी लिन आपस में मिले। बातचीत में चमगादड़ की घटना की चर्चा आयी, तो दोनों को पता चला कि चमगादड़ दोनों तरफ़ झूठ बोलता है। अमर पक्षी और छी लिन ने आह भर कर कहा:"समाज में नैतिकता कितनी कमजोर हो चुकी है, ऐसी चीज भी पैदा हो गई है, जो न जानवर है, ना ही पक्षी । उसके साथ हम कुछ कर नहीं सकते।"

"चालाक चमगादड़"यानी चीनी भाषा में"च्याओ हुआ द प्यान फ़ू"(jiǎo huá de biān fú) नाम की इस नीति कथा का मतलब है कि समाज में ऐसे दोगले लोग रहते हैं, जो इंसान के साथ इंसानों की बातें करते हैं और शैतान के साथ शैतान की बातें। उसका कोई सिद्धांत नहीं होता है। पर देर सबेरे उनके असली चेहरे का पर्दाफ़ाश हो ही जाता है।

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लम्बा बांस का डंडा 截竿进城

"लंबा बांस का डंडा गेट से अंदर कैसे लाया गया"। चीनी भाषा में इसे"च्ये कान चिन छंग"(jié gān jìn chéng) कहा जाता है। इसमें"च्ये"का अर्थ है काटना और"कान"का मतलब होता है बांस का डंडा, तो"च्ये कान"का अर्थ हुआ बांस को काटकर डंडा बनाना । तीसरे शब्द"चिन"का मतलब है प्रवेश करना और चौथा शब्द"छंग"का अर्थ होता है शहर। तो"चिन छंग"का अर्थ निकलता है शहर में प्रवेश करना। सरल रूप से इस कहानी का नाम"लम्बा बांस का डंडा गेट से अंदर कैसे लाया गया"कहा जाता है। संक्षिप्त में कहा जाए, तो इसे"लम्बा बांस का डंडा"कहते हैं।

बहुत पहले की बात है। लु राज्य में एक किसान बांस का एक लम्बा मोटा डंडा बाजार ले जा रहा था। जब वह नगर के द्वार पर पहुंचा, तो उसने बांस के डंडे को ऊपर नीचे की ओर सीधा खड़ा कर द्वार से अन्दर ले जाने की कोशिश की, किन्तु बांस का डंडा द्वार की ऊंचाई से भी लम्बा था कि उसे अन्दर नहीं लाया जा सका। किसान ने फिर बांस के डंडे को लम्बा कर अन्दर लाने की कोशिश की, तो पाया कि बांस का डंडा द्वार की लम्बाई से भी लम्बा था।

लाख कोशिश करके भी बांस का डंडा नगर के द्वार से अन्दर नहीं लाया जा सका, थकान से वह हांफने भी लगा। पास खड़ा एक वृद्ध व्यक्ति यह तमाशा देखते हुए हंसा:"तुम बड़े बुद्धू हो, तुम्हारा दिमाग कहां गायब हो गया। मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं, मैं जितने पुलों से गुजरा, वह तुम्हारे द्वारा तय किए गए रास्ते से भी ज्यादा है, मुझसे क्यों नहीं पूछते हो।"

किसान ने बड़े विनम्र भाव से नमस्ते कर कहा:"आप बताइए क्या किया जा सकता है।"

बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी सफेद दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा:"यह बहुत सरल काम है, तुम इस लम्बे बांस को चीर कर दो हिस्सों में बांट दो, तो आसानी से द्वार से अन्दर ला सकोगे।"

"दो भागों में काटने के बाद यह डंडा बेकार हो जाएगा", किसान ने सोच कर कहा।

"फिर भी नगर के बाहर ऐसे खड़े रहने से सो अच्छा है", बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा।

किसान ने बुजुर्ग का सुझाव माना और बांस के डंडे को काटकर द्वार से नगर के अन्दर ले गया।

ज़रा सोचो कि इस कहानी में बुजुर्ग का सुझाव ठीक था या नहीं। बांस को काटे बिना क्या द्वार से अन्दर लाया जा सकता था। कहानी से यह लगता है कि दरअसल सफेद दाढ़ी वाला बुजुर्ग घमंडी और बुद्धू व्यक्ति था।

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