006 छांग यांग के तीरंदाजी का रहस्य

2016-12-12 16:08:52 CRI

006 छांग यांग के तीरंदाजी का रहस्य

छांग यांग के तीरंदाजी का रहस्य 常羊学箭

"छांग यांग के तीरंदाजी का रहस्य"नीति कथा को चीनी भाषा में"छांग यांग श्वे च्यान"(cháng yang xué jiàn) कहा जाता है। इसमें"छांग यांग"तो व्यक्ति का नाम है, जबकि"श्वे"का अर्थ है सीखना और"च्यान"का अर्थ है"तीरंदाज़"।

प्राचीन काल में छांग यांग नाम का एक युवा अपने गुरु थु लुंग से तीरंदाजी सीखना चाहता था।

थु लुंग ने छांग यांग से पूछा:"तुम तीरंदाजी का रहस्य जानते हो?"

तो छांग यांग ने जवाब में कहा:"आप के निर्देशन के लिए तैयार हूं।"

गुरू जी ने उसे तीरंदाजी का रहस्य बताने की जगह एक कथा सुनाई--- एक बार, छु राजवंश का राजा युन्न मङ मैदान में शिकारी के लिए निकले, उसके सिपाहियों ने शाही बाड़ों में पालित सभी जानवरों को बाहर छोड़ा, ताकि राजा आसानी से उनका शिकार कर सके। क्षणों में ही आकाश में बेशुमार पक्षी और घास मैदान में हजारों जानवर उड़ते भागते नजर आए। कभी हिरण राजा के आगे भाग रहे थे, तो कभी बारंगी राजा के अश्व के पास से दौड़ते गुजर रहे, उनका पीछा करते हुए राजा कभी हिरण को निशाना साध रहे थे, तो कभी बारंगी को। वह अभी तीर दागना चाह रहे थे कि फिर ऊपर से राजहंस उड़ते पास से गुजरती दिखाई पड़ी, तो फिर राजा को राजहंस को मार गिराने का मन आया। इसी तरह हिचकते, निशाना बदलते काफी समय बीता, फिर भी राजा के हाथ से एक भी तीर नहीं छूट पाया। असल में राजा नहीं समझता था कि आखिरकार किस जानवर का शिकार करना ठीक होगा। तभी यांग सु नाम के एक मंत्री ने राजा से कहा:"मैं भी तीरंदाजी का शौकिन हूं, जब मैं तीरंदाजी के लिए तैयार हो गया, तो सौ कदम दूर आगे पेड़ का एक पत्ता रखा जाता है। उसपर मेरा निशाना कभी चूक नहीं हुआ है। दस बार निशाना बने,दस ही बार साध होते हैं। अगर एक साथ दस पत्ते रखे गए, तो अकसर निशाना चूक होता है।"......

गुरु की बात छांग यांग को समझ में आई, उसे तीरंदाजी का अभ्यास करने में हमेशा एकाग्र मन लगता रहा।

"छांग यांग के तीरंदाजी का रहस्य"यानी"छांग यांग श्वे च्यान"(cháng yang xué jiàn) नाम की नीति कथा हमें बताती है कि किस भी प्रकार का काम करने के समय एकाग्रता और लग्नता की बड़ी आवश्यकता होती है। हिचकने और समय समय लक्ष्य बदलने से काम कभी नहीं बन सकता।

006 छांग यांग के तीरंदाजी का रहस्य

छु सेना की हार 楚军偷渡

"छु सेना की हार"नीति कथा को चीनी भाषा में"छु चुन थो तु"(chǔ jūn tōu dù) कहा जाता है। इसमें"छु"तो राज्य का नाम है और"चुन"का अर्थ है"सेना", जबकि"थो तु"का अर्थ है"चुपके से पार करना"।

एक बार, छु राज्य की सेना सोंग राज्य वंश पर चोरी छिपे हमला बोलना चाहती थी। हमला बोलने से कुछ दिन पूर्व छु सेना ने दोनों देशों की सीमा पर बहती योंग नदी की गहराई नापी और नदी के सब से छिछले भाग पर पार गुजरने के लिए निशान बनाया, ताकि युद्ध छिड़ने के समय वहां से नदी पार कर धावा बोले। लेकिन क्या जाने हमले के दिन शाम को नदी में अचानक बाढ़ आई, किन्तु छु सेना का इस पर ध्यान नहीं गया, वह देर रात में पूर्व योजना के अनुसार नदी के पास लगाए गए निशान की जगह नदी को पार करने लगी, नदीजा यह निकला कि नदी की बाढ़ के साथ हजार से अधिक सिपाही डूब कर बह गए और छु सेना बिना युद्ध किए ही हार गई।

"छु सेना की हार"यानी चीनी भाषा में"छु चुन थो तु"(chǔ jūn tōu dù) नाम की नीति कथा यह बताती है कि दुनिया में हर चीज़ बदलती जाती है, यह एक प्राकृतिक नियम होता है। नदी में बाढ़ आती है, चली भी जाती है। यदि इस परिवर्तन पर ध्यान नहीं देते हैं और परिवर्तित स्थिति के मुताबिक काम नहीं लेते, तो हार की कटु फल खाना पड़ता है।

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