कुमारजीव सन 402 के शुरु में शीएन पहुंचा और बारह वर्ष बाद लगभग 70 वर्ष की उम्र में उन का इसी शहर में देहांत हो गया। जीवन के अन्तिम वर्षों में कुमारजीव की बौद्धिक क्षमता आसमान को छूने लगी और उनके पाण्डित्य के आगे कोई नहीं टिक पाता था। राजा याओ शिंग उनका बड़ा सम्मान करता था। उसने कुमारजीव से व्याख्यान देने और बौद्ध ग्रंथों का अनुवाद करने का अनुरोध किया। शीघ्र ही कुमारजीव की खअयाति समूचे चीन में फैल गई। उस समय शीआन में अनेक जाने माने भिक्षु रहते थे, उन में से कुछ भारतीय भी थे और कुमारजीव के गुरु भी रह चुके थे। आठ सौ से ज्यादा चीनी भिक्षु कुमारजीव ने व्याख्यान सुनते थे और अनुवाद कार्य में उन की सहायता करते थे। उन्होंने कुलमिलाकर तीन सौ जिल्दों का अनुवाद किया। लेकिन, यह सब उनकी उपलब्धियों के दसवें हिस्से से भी कम था।
कुमारजीव ने जहां एक ओर अनेक महत्वपूर्ण प्राचीन भारतीय ग्रंथों से चीनी लोगों को परिचित कराया, वहां, दूसरी ओर अनुवाद के एक सुन्दर साहित्यिक रुप का सूत्रपात भी किया। उन्होंने एक दार्शनिक विचार शाखा की स्थापना भी की।
उनसे पहले के अनुवादकों को संस्कृत और चीनी दोनों भाषाओं की अच्छी जानकारी नहीं थी। एक अच्छे अनुवादक को मूल रचना की भाषा और अनुवाद की भाषा दोनों की अच्छी जानकारी होना जरुरी है। उनका सामान ज्ञान अत्यन्त गहन और व्यापक होना चाहिए। अपने काल में केवल कुमारजीव ही इन शर्तों को पूरा कर सकते थे। कुमारजीव से पहले सभी अनुवाद ,एक चीनी और एक विदेशी बौद्ध विद्वान के पारस्पिक सहयोग के जरिए किये गए थे, कभी-कभी कोई तीसरा चीनी विद्वान दुभाशिए के रुप में काम करता था। ऐसी स्थिति में अनुवाद में त्रिटियां रह जाना अनिवार्य था। साथ ही विदेशी विद्वानों के पास यह पता लगाने का कोई साधन नहीं था कि चीनी अनुवाद कैसा बन पड़ा है। शुरु में कुमारजीव ने चीनी सहयोगियों के साथ मिलकर काम किया, लेकिन, जब चीनी भाषा का उसका ज्ञान बेहत्तर हो गया तो, उन्होंने स्वयं अनुवाद करना शुरु कर दिया। वह पहले अनुदित ग्रंथों की व्याख्या कते थे, फिर उनके अनुवाद पर विचार किया जाता था, उसकी जांच की जाती थी और उस में सुधार किया जाता था। उनके शिष्यों और सहयोगियों में अनेक प्रतिभाशाली विद्वान शामिल थे। जिनमें कुछ लोग अत्यन्त मेधावी थे। कभी-कभी 500 लोग कुमारजीव की सहायता करते थे। वे लोग अनुदित रचनाओं पर विचार विनिमय करते थए और उनका सम्पादन करते थे तथा उनकी तुलना अन्य लोगों के अनुवादों के साथ करते थे।