हमारे संवाददाता ने श्वांगह्वा गांव छोड़कर अपनी यात्रा जारी रखी। गाड़ी से कोई आधे घंटे चलने के बाद वह पूर्वी चीन सागर के तट पर स्थित एक कस्बा पहुंचा, जिसका नाम शा न्ये है। वहां लोग मुख्य रूप से मछली पड़कने का धंधा चलाते हैं। पर अपनी विशेष संस्कृति के आधार पर पर्यटन के विकास को भी भारी महत्व देते हैं। हर साल लालटेन उत्सव के दौरान लोहे के खंभों वाला जुलूस वहां पर्यटन से जुड़ा एक नामचीन कार्यक्रम है। ध्यान रहे कि यह लोककला चीनी राष्ट्रीय स्तर के अभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शुमार है। इस लोककला की छ्वान चो में उत्पत्ति हुई थी, लेकिन वह शा न्ये में फली-फूली है।
जुलूस निकालने के दौरान 8 से 10 मीटर ऊंचे एक लोहे के खंभे पर 1.2 मीटर ऊंचे कद वाले 9 बच्चे रंगबिरंगे चीनी परंपरगत पौशाकों में दर्शकों को नमस्ते करने के रूप में हाथ हिलाते, पुष्प छिड़काते और आशीर्वाद देते नजर आते हैं। जुलूस में भाग लेने वाले इन बच्चों की सुरक्षा की खाति लोहे के खंभे बनाने वाले कारीगर मजबूत कपड़ों की पट्टियों से बच्चों को अच्छी तरह से खंभों पर फिक्स करते हैं। देखने में हर बच्चा खंभे पर खड़ा है, लेकिन असल में वह खंभे पर बैठा हुआ है और आराम से विभिन्न अंग-भंगिमा करता है। यह ही लोहे के खंभों वाले प्रदर्शन की अद्भुतता है। लोककला के अहम भाग के रूप में लोहे के खंभों वाला प्रदर्शन करना स्थानीय बच्चों के लिए अभिमानी और गौरवांवित बात है। हर साल लालटेन उत्सव मनाने के लिए जब जुलूस की तैयारी शुरू होती है, तो सैकड़ों बच्चे अनिवार्य कार्यक्रम---लोहे के खंभों वाला प्रदर्शन करने के लिए नाम दर्ज करते हैं। हर बार यह प्रदर्शन करीब 2 घंटे चलता है।