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    तिब्बती पुरूष और थाईवानी महिला की प्रेम कहानी
    2015-10-10 13:56:00 cri

    श्ये लीश्यांग चित्र बनाते हुए

    इस पारिवारिक संग्रहालय के निर्माण के लिए शुरू में तैयारियां, प्रदर्शित वस्तुओं को इक्ट्ठा करना, संग्रहालय का डिज़ाइन और प्रदर्शनी हॉल में सजावट...... रांग पो और श्ये लीश्यांग अपने बच्चे की तरह हरेक छोटे-बड़े काम करते थे। दो साल की मेहनत और 50 लाख युआन में उनका यह पारिवारिक संग्रहालय बनकर तैयार हो गया। इस वास्तु-निर्माण में श्ये लीश्यांग की विचारधारा और डिज़ाइन शैली नज़र आई। जिसमें स्थानीय प्रकृति और आधुनिक निर्माण कला की झलक मिलती है। पूरा वास्तु-निर्माण अर्ध गोलाकार है। और नीले रंग का है। वास्तु-निर्माण की छत पर तिब्बती जाति की कथा में सात देवियां लगाई गईं हैं। मकान के बाहर और भीतर का आकार अनियमित है। प्रदर्शित वस्तुओं में नक्काशी वाली मूर्तियां, मिट्टी की मूर्तियां, तेल-चित्र, पशु-त्वचे से बने चित्र आदि शामिल हैं। रांग पो ने कहा कि"पुलाओ वो"में प्रदर्शित सभी वस्तुएं उसने पत्नी श्य लीश्यांग के साथ खुद लगाई हैं। रांग पो ने कहा:"मेरी पत्नी ने अपनी कई कलात्मक रचनाओं को इस संग्राहलय में लगाया है। जिनमें कई चित्र शामिल हैं। बाकी प्रदर्शित वस्तुएं तिब्बती जाति के जीवन से संबंधित हैं। कुछ वस्तुओं का बहुत पहले तिब्बती लोग प्रयोग करते थे। मसलन् हमारे संग्रहालय में प्रदर्शित काले तंबू का इतिहास कोई 6 हज़ार वर्ष पुराना है। तिब्बती पोशाक का इतिहास भी कुछ सौ वर्ष का है। इन वस्तुओं को संग्रहालय में रखे जाने का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को तिब्बती जाति के इतिहास और संस्कृति से परिचित कराना है।"

    वास्तव में"पोलाओ वो"तिब्बती जाति के रीति रिवाज़ को प्रदर्शित करने वाला एक स्थल भी माना जा सकता है। यहां प्रदर्शित वस्तुओं में तिब्बती जाति के प्राचीन आवास, रोजमर्रा जीवन और उत्पादन के साधन, पारिवारिक डिज़ाइन वाली वस्तुएं, तिब्बती लोगों के वस्त्र आदि शामिल हैं। कुछ पुरानी वस्तुएं रांग पो और उसके परिजनों द्वारा दूसरे तिब्बती लोगों के घर से खरीदी गई थी। इधर के सालों में अपने प्रेम का घर"पुलाओ वो"के विकास के लिए रांग पो और श्ये लीश्यांग पैसा खर्च किया। जिससे उन्हें जीवन में दबाव का सामना भी करना पड़ता है। थाईवान में श्ये लीश्यांग एक मशहूर डिज़ाइनर हैं। उनके द्वारा डिज़ाइन की गई कई रचनाएं स्थानीय लोगों में लोकप्रिय हैं। रांग पो और श्ये लीश्यांग तिब्बती जाति की संस्कृति पसंद करते हैं। पत्नी श्ये लीश्यांग कभी-कभार मातृभूमि के कई प्रांतों, शहरों और थाईवान की कुछ परियोजनाएं करती हैं। रांग पो पत्नी का पूरी तरह समर्थन करता है। संबंधित परियोजना पूरी हो जाने के बाद रांग पो और श्ये लीश्यांग रोअरगेई वापस लौटते हैं। अपने कार्य और जीवन के प्रति पति-पत्नी दोनों को बड़ी उम्मीद हैं। रांग पो ने कहा "पत्नी को संस्कृति और कला पसंद है, मैं भी संस्कृति को पसंद करता हूँ। यह हमारे बीच की समानता है। 'पोलाओ वो' बनाने की शुरूआत में हमने बड़ी राशि लगाई। हम इससे मुनाफ़ा कमाने के बारे में नहीं सोचते। हमें मालूम है कि आगे का रास्ता मुश्किल है। वर्तमान में इस क्षेत्र में लोगों को कम रूचि है। लेकिन 20 या 30 साल के बाद हम फिर देखें, लोगों की नज़र सांस्कृतिक और कलात्मक जीवन पर जरूर अधिक ध्यान केंद्रित होगी। तब साबित होगा कि हमारा रास्ता सही है। इसका हमें पक्का विश्वास है।"

    "पुलाओ वो"का और अच्छी तरह प्रचालन और संपूर्ण करने के लिए रांग पो और श्ये लीश्यांग ने भविष्य में इसके विकास की योजना बनाई। वर्तमान में उनका यह"पुलाओ वो"स्थानीय दर्शनीय स्थल बन चुका है। उन्होंने पर्यटकों को तिब्बती संस्कृति की अधिक जानकारी हासिल करवाने के लिए पेशेवर गाईड भी बुलाया। इसके साथ ही यहां थाईवानी पकवान भी मिलते हैं। पर्यटक"पुलाओ वो"आकर न केवल तिब्बती और थाईवानी स्वादिष्ट पकवानों का मजा़ ले सकते हैं, बल्कि उन्हें तिब्बती जाति के परंपरा, संस्कृति, रीति रिवाज़ जानने का मौका भी मिलता है। रांग पो और श्ये लीश्यांग को स्थानीय सरकार का समर्थन मिला। संबंधित विभाग"पुलाओ वो"को सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करवाने में सक्रिय है। रांग पो और श्ये लीश्यांग को आशा है कि"पुलाओ वो"उनके बीच प्रेम की तरह हमेशा रहेगा।"पुलाओ वो"के प्रवेश द्वार के पत्थर पर ऐसा वाक्य लिखा है—— हम ज़रूर बूढ़े होंगे, लेकिन सुन्दर भावना कभी पुरानी नहीं होगी। यह है"पुलाओ वो"का मूल अर्थ।

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