"पुलाओ वो" का दृश्य
दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत का प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर है। यहां के संसाधन प्रचुर हैं और प्राचीन काल से ही इस क्षेत्र को"स्वर्ग का स्थल"माना जाता है। प्रांत में कई तिब्बती बहुल क्षेत्र बसे हुए हैं। हाल में हमारे संवाददाता ने आबा तिब्बती और छ्यांग जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर का दौरा किया, जहां एक तिब्बती पुरुष और चीनी थाईवानी महिला के बीच प्रेम की कहानी सुनाई गई।
रोअरगेई कांउटी आबा तिब्बती और छ्यांग जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर के उत्तर भाग में स्थित है। इस कांउटी को मशहूर《नेशनल ज्योग्राफ़िक पत्रिका》ने चीन में सबसे सुन्दर आर्द्रभूमि वाला घास का मैदान करार दिया। हमारे संवाददाता कार से रोअरगेई कांउटी जा रहे थे। कांउटी नज़दीक आ रही थी। रास्ते पर एक नीले रंग की इमारत नज़र आई। घास के मैदान में एक आधुनिक वास्तु निर्माण अकेला खड़ा है। इसे देखकर लोगों को बहुत आश्चर्य होता है। हमारे संवाददाता ने उक्त इमारत में प्रवेश किया। बताया गया है कि आधुनिक काष्ठ निर्माण और तिब्बती पारंपरिक संस्कृति मिश्रित यह इमारत एक पारिवारिक संग्रहालय है। जिसका नाम है"पुलाओ वो"। यह चीनी भाषा का शब्द है।"पुलाओ"का मतलब है पुराना नहीं, "वो"का अर्थ है"छोटा सा घर"। कुल मिलाकर कहा जाए तो"पुलाओ वो"का अर्थ हुआ, पुराना न होने वाला छोटा सा घर।"पुलाओ वो"का निर्माण, भीतरी डिज़ाइन और इसमें प्रदर्शित वस्तुएं उक्त घर के मालिक तिब्बती पुरुष रांग पो और थाईवानी वास्तुकार श्ये लीश्यांग ने मिलकर बनायी हैं। यह वास्तु-निर्माण उनका घर ही नहीं, उनके प्रेम का साक्षी भी है।
हमारे संवाददाता ने"पुलाओ वो"का दौरा किया। मकान मालकिन श्यो लीश्यंग काम की वजह से थाईवान वापस लौट गई। रांग पो ने हमारे संवाददाताओं का स्वागत किया और उनका सत्कार किया। उन्होंने अपने और श्ये लीश्यंग की प्रेम कहानी सुनाई।
साल 2009 की बात थी। थाईवानी वास्तुकार श्ये लीश्यांग को अपने कैरियर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। लम्बी छुट्टी लेकर वह साइकिल पर देश में पूर्व से पश्चिम की ओर निकल पड़ी। तीन महीने बाद वह सुन्दर रोअरगेई पहुंची। इसकी चर्चा करते हुए रांग पो ने कहा:"हमारी पहली मुलाकात घुड़सवार मैदान में हुई। उस समय रास्ते की स्थिति खराब थी। साइकिल चलाते हुए उसे मुश्किल हो रही थी। मैं घोड़े पर सवार होकर उसके पास जा पहुंचा और उसकी मदद की। बाद में वह एक घोड़ा खरीदना चाहती थी और मैंने उसकी सहायता की। फिर मैंने अपने पुराने घर को उसे उधार दिया। हर दिन हम घोड़े पर सवार होकर रोअरगेई घास के मैदान में दौड़ते थे और बातचीत करते थे। धीरे-धीरे हमारे बीच प्रेम होने लगा"