वनदे च्यांगत्सो और उनका दूरबीन
आर्द्रभूमि में गश्त लगाने के दौरान वनदे च्यांगत्सो कभी घायल हुए पक्षियों को देखते हैं। वे पक्षियों को संरक्षण केन्द्र में वापस भेजते हैं। फिर उनके इलाज के लिए संबंधित पक्षी-डॉक्टर को बुलाते हैं। रोज नियमित जांच और गश्ती के अलावा प्रति माह वे गाड़ी चलाते हुए दूरबीन की मदद से आर्द्रभूमि में पक्षियों की संख्या गिनते हैं। उन्होंने कहा:
"साल-दर-साल पक्षियों की संख्या और प्रजाति लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में यहां 62 या 63 प्रजाति के पक्षी मौजूद हैं। पहले काली गर्दन वाले सारसों की संख्या मात्र 24 थी। अब बीस से अधिक वर्षों बाद काली गर्दन वाले सारस की संख्या 216 तक पहुंच गई है। अब आर्द्रभूमि में पक्षियों की प्रजाति निरंतर बढ़ रही है।"
वनदे च्यांगत्सो के मुताबिक साल में मार्च से जुलाई तक उनका व्यस्त मौसम रहता है। इस दौरान अप्रैल और मई में पक्षी अंडे देते हैं। जून और जुलाई माह में नन्हे पक्षी अंडे से बाहर निकलते हैं। यह पक्षियों के लिए सबसे संवेदनशील समय है। वनदे च्यांगत्सो ने जानकारी देते हुए कहा:
"अप्रैल, मई और जून तीनों महीनों में मुझे अवश्य ही झील के बीच स्थित छोटे द्वीप पर तंबू लगाना पड़ता है। इस दौरान पक्षियों के अंडे देने का सीज़न रहता है। 17 अप्रैल से 17 मई तक के एक महीने में पक्षी अंडे देते हैं। फिर जून माह में नन्हे पक्षी अंडों से बाहर निकलते हैं। नन्हे पक्षियों के अंडे से बाहर आने के बाद शुरू में बहुत कमज़ोर होते हैं। जंगली कुत्ते, लोमड़ी, भेड़िया जैसे पशु उनके लिए खतरा हैं।"
आज लोंगपाओ आर्द्रभूमि में पक्षियों की संख्या और प्रजाति अधिक से अधिक बढ़ रही हैं। स्थानीय नागरिकों के पास पक्षियों की रक्षा करने, पारिस्थितिकी पर्यावरण को संरक्षण देने की विचारधारा लगातार उन्नत हो रही है। यह नतीज़ा पिछले तीस वर्षों में वनदे च्यांगत्सो के प्रयासों से अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि आज पक्षियों की रक्षा करना आसान हो गया है। मानव द्वारा पक्षियों को नुक्सान पहुंचाने वाले मामले कम हो रहे हैं। वनदे च्यांगत्सो का कहना है:
"अब स्थानीय नागरिक पक्षियों की रक्षा करने के महत्व को समझने लगे हैं। इस संदर्भ में वे सक्रिय हैं। इस तरह मेरे पास काम ज्यादा कठिन नहीं लगता। याद है कि यहां आने के शुरू में स्थिति बहुत कठीन थी। रात को अज्ञात व्यक्ति ने मेरे ऊपर पत्थर फेंके थे और मुझसे मारपीट की थी।"