लोंगपाओ आर्द्रभूमि का दृश्य
छिंगहाई प्रांत के यूशू तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर में लोंगपाओ आर्द्रभूमि प्राकृतिक संरक्षण केंद्र समुद्र की सतह से करीब 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह चीन में सबसे ऊंचे स्थल पर स्थित प्राकृतिक संरक्षण केंद्र ही नहीं, विश्व में समुद्र सतह से सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित संरक्षण केंद्रों में से एक है। इस प्राकृतिक संरक्षण केंद्र का क्षेत्रफल 10 हज़ार वर्गकिलोमीटर है, जो पश्चिम से पूर्वी तक 25 किलोमीटर और उत्तर से दक्षिण तक करीब 4 किलोमीटर का है। सानच्यांग युआन यानी यांत्सी नदी, पीली नदी और लानछांगच्यांग नदी के उद्गम स्थल पर स्थित इस प्राकृतिक संरक्षण केंद्र काली गर्दन वाले सारस का जन्मस्थान भी कहा जाता है।
लोंगपाओ कस्बे के ग्रामीण मार्ग पर हम गाड़ी चलाते हुए काली गर्दन वाले सारस की खोज करने जा रहे थे। बर्फीले पर्वतों के बीचोंबीच यह आर्द्रभूमि पक्षियों का स्वर्ग बन गई है। स्थानीय इछ्यु नदी इस भूमि से गुज़रती है, पांच छोटी-बड़ी झीलों से आर्द्रभूमि में एक-एक छोटा द्वीप बंटा हुआ है। हर साल अप्रैल में काली गर्दन वाले सारस दक्षिण की ओर से यहां स्थानांतरण करते हैं। शरद ऋतु में वे सर्दियों के दिन बिताने के लिए दक्षिणी भाग की गर्म भूमि की ओर उड़ जाते हैं।
लोंगपाओ आर्द्रभूमि प्राकृतिक संरक्षण केंद्र की सथापना वर्ष 1984 में हुई थी, इस बात को अब 30 से अधिक वर्ष बीत चुके हैं। वर्ष 1986 में वह राष्ट्र स्तरीय प्राकृतिक रक्षण केंद्र बन गया है। स्थानीय सरकार के समर्थन में आर्द्रभूमि के तट पर एक संरक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है। तिब्बती बंधु वनदे च्यांगत्सो इस संरक्षण केंद्र में पक्षियों और आर्द्रभूमि का संरक्षण करते हुए 30 से अधिक साल का समय बिता चुके हैं। अपने पिछले तीस वर्षों के कार्यकाल की याद करते हुए उन्होंने कहा:
"उस समय मैं 25 या 26 साल का था। यूशू प्रिफेक्चर के कॉलेज से स्नातक होने के बाद मुझे एक शिक्षक के रूप में चीत्वो कांउटी में भेजा गया। लेकिन मैं यहां वापस लौटकर पक्षियों की रक्षा करना चाहता था। मेरा जन्मस्थान यहीं पर स्थित है। कभी कभार मैंने देखा कि गर्मियों में पक्षियों के अंडे को स्थानीय लोग खाने के लिए घर में ले जाते थे। इस तरह मैं यहां वापस लौटकर और पक्षियों का संरक्षण करने लगा।"
वनदे च्यांगत्सो ने कहा कि शिक्षक का काम छोड़कर आर्द्रभूमि का सरक्षण करना एक आश्चर्यजनक विकल्प है। शुरू में दूसरे लोग उनका विश्वास नहीं करते थे। इसकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा:
"मेरे पास पक्षियों के लिये गहरी भावना मौजूद है। पक्षियों की रक्षा के लिए यहां वापस लौटा, शुरू में स्थानीय सरकारी कर्मचारी मुझ पर विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने मुझ से पूछा कि तुम सच्चे मायने में पक्षियों का संरक्षण करोगे या नहीं। मैंने कहा सच्चे मायने में मैं संरक्षण करूंगा। अगर तुम्हें मुझपर विश्वास नहीं है तो तुम लोग मुझे परखने के बाद मुझे वहां से वापस बुला लो।"
वनदे च्यांगत्सो ने अपना वचन पूरा किया। उनकी रक्षा से प्राकृतिक संरक्षण केंद्र में पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनका कहना है:
"दिन रात मुझे काम करना पड़ता है। अगर रात को अच्छी तरह देखभाल नहीं की, तो पक्षियों के अंडे चोरी हो जाएंगे। यहां आने के समय रात को मैंने गश्त नहीं लगाई। लेकिन दूसरे दिन मैंने देखा कि सभी अंडे गायब हो गए हैं। इस तरह मैंने झील के बीच द्वीप पर एक सफेद तंबू स्थापित किया। हर दिन मैं रात को बंदूक लिए दूरबीन के माध्यम से आसपास की हालत पर अपनी नज़र बनाए रखने लगा। दिन और रात में इस प्रकार का कार्य करता था। धीरे-धीरे पक्षियों के अंडों की चोरी में कमी आने लगी।"
वनदे च्यांगत्सो ने बताया कि उसने आर्द्रभूमि के उत्तर से दक्षिण की सबसे कम दूरी के अनुसार एक व्यक्ति के अंदर से बाहर जाने तक के समय की गणना की। इसमें आधे घंटे की ज़रूरत पड़ती है। इस तरह उसने हर आधे घंटे के बाद दूरबीन के माध्यम से नियमित रूप से देखते हुए जांच करने लगा। अपनी दूरबीन दिखाते हुए वनदे च्यंत्सो ने कहा:
"मैं इस दूरबीन का प्रयोग करते हुए 26 या 27 साल बिता चुका हूँ। घायल हुए पक्षियों, पक्षियों को घायल करने वाले व्यक्तियों, पक्षियों की हालत मैं इन सभी दृष्यों को दूरबीन से देखता हूँ। मैं पक्षियों को रोज़ देखता हूँ। कभी वे गाते हैं, नाचते हैं, तो जाहिर है कि पक्षियों की स्थिति अच्छी है। अगर पक्षियों की स्थिति अच्छी नहीं रही, तो वे देखने में उत्साहित नहीं लगते।"