विद्यार्थी सीआरआई विदेशी संवाददाता के साथ
तिब्बती भाषा मीडिल स्कूल में शिक्षकों के कार्य क्षमता पर ध्यान दिया जाता है। स्कूल खास कर चीनी हान भाषा और अंग्रेज़ी में निपुर्ण शिक्षकों को रखने में हितबद्ध है। वर्तमान में स्कूल में हान भाषा और अंग्रेज़ी पढ़ाने वाले अध्यापकों की संख्या 20-20 से अधिक हैं। मा क्वोछ्यांग स्कूल में हान भाषा पढ़ाने वाले अध्यापक हैं। उन्हें पढ़ाते हुए करीब 15 साल हो चुके हैं। दो साल पहले वे आबा कांउटी के तिब्बती भाषा मीडिल स्कूल आए। स्कूल में शिक्षकों के बारे में उन्होंने परिचय देते हुए कहा:
"वर्ष 2013 में हमारे स्कूल में चीनी हान भाषा सिखाने वाले शिक्षों की संख्या सिर्फ़ 8 थी। हमारे शिक्षकों के कंधों पर अधिक जिम्मेदारी थी। एक शिक्षक 2 या 3 कक्षाओं में पढ़ाते थे। वर्ष 2014 में स्कूल में और अन्य कुछ पेशेवर शिक्षकों की भर्ती हुईं। हान भाषा सिखाने वाले शिक्षकों की संख्या 20 तक पहुंच गयी हैं।"
अध्यापक मा क्वोछ्यांग के मुताबिक तिब्बती छात्र प्राइमरी स्कूल की पहली कक्षा से ही हान भाषा सीखने लगे। वे एक हफ्ते में हान भाषा की 7 कक्षाएं लेते हैं। मीडिल स्कूल में विद्यार्थी मंदारिन भाषा का प्रयोग करते हुए दूसरे लोगों के साथ धाराप्रवाह के साथ बातचीत करते हैं। अध्यापक मा ने बताया कि तिब्बती भाषा मीडिल स्कूल में प्रयोग किए जाने वाले हान भाषा की पाठ्यपुस्तक दूसरे साधारण मीडिल स्कूल से अलग है, जो तिब्बती बहुल क्षेत्रों में विद्यार्थियों की विशेषताओं के अनुसार खास तौर पर तैयार किया गया है। तिब्बती भाषा और तिब्बती संस्कृति को विरासत में प्राप्त करते हुए उनका आगे विकास करने के लिए स्कूल में हान भाषा वाली कक्षा के अलावा बाकी सभी कक्षाओं में तिब्बती भाषा के माध्यम से पढ़ाई होती है। अध्यापक मा क्वोछ्यांग ने कहा:
"सबसे पहले, तिब्बती भाषा को विरासत में प्राप्त करते हुए उसका विकास करना हमारा उद्देश्य है। स्कूल में विद्यार्थियों की मातृभाषा तिब्बती भाषा है। वे तिब्बती जाति के हैं। इस तरह तिब्बती भाषा सीखने से तिब्बती संस्कृति को विरासत में ग्रहण करना उसके विकास के लिए मददगार सिद्ध होगा। दूसरा, विद्यार्थियों के हान भाषा का स्तर ज्यादा ऊंचा नहीं है। यदि कक्षाओं में हान भाषा के माध्यम से शिक्षा दी जाने लगेगी, तो विद्यार्थियों को समझने में कठिनाई होगी। इस तरह हमारे स्कूल में हान भाषा वाली कक्षा के अलावा बाकी सभी कक्षाओं में तिब्बती भाषा के जरिए शिक्षा दी जाती है। संबंधित पाठ्यपुस्तक तिब्बती भाषा में होती हैं।"
हमारे संवाददाता दल में तीन विदेशी पत्रकार भी शामिल थे। स्कूल में विद्यार्थियों ने उनके साथ बास्केटबॉल खेला और अंग्रेज़ी का प्रयोग कर उनके साथ बातचीत की। उनकी आंखों में बाहरी दुनिया को देखने की जिज्ञासा साफ झलक रही थी।
"सछ्वान का रास्ता बहुत कठिन है, स्वर्ग के रास्ते की तरह।"यह चीन में बहुत लोकप्रिय कहावत है। इसका मतलब है कि सछ्वान प्रांत में अधिक पर्वत होने के कारण पहाड़ी रास्ते अधिक दुर्गम और जटिल हैं, जिस पर आगे बढ़ना स्वर्ग जाने के रास्ते के समान है। सछ्वान के पठार में रहने वाले तिब्बती बच्चों के लिए शिक्षा अधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षा पाने से वे अपनी जाति की संस्कृति को विरासत में प्राप्त करते हुए आगे विकास कर सकते हैं और साथ ही शिक्षा पाने के बाद वे पूरानी पीढ़ी की तरह पठार तक सिमित नहीं रह सकते हैं। वे बाहरी दुनिया में प्रवेश कर और अधिक आत्म विकास कर सकेंगे। अध्यापक मा क्वोछ्यांग ने चीनी शिक्षा मंत्रालय के जातीय शिक्षा विभाग के पूर्व प्रधान श्या चू का हवाला देते हुए कहा:
"अल्पसंख्यक जातियों के विद्यार्थी अपनी जाति की भाषा को अच्छी तरह सीखकर अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे। चीनी हान भाषा को अच्छी तरह सीखकर वे घर के बाहर आ सकेंगे और विदेशी भाषा को अच्छी तरह सीखकर दुनिया में प्रवेश कर सकेंगे।"