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वूथुन वासियों की थांगखा अर्थव्यवस्था
2015-04-24 20:50:04 cri

थांगखा चित्र का कलात्मक वस्तु के रूप में संग्रह करना इधर के सालों में लोगों की नज़र में आया। पहले तिब्बती बहुल क्षेत्रों में थांगखा मुख्य तौर पर तिब्बती बौद्ध धर्म के मंदिरों और श्रद्धालुओं के घर में रखे जाते थे। चीन के भीतरी इलाके में अधिक से अधिक बौद्ध अनुयायियों के तिब्बती बौद्ध धर्म में विश्वास करने लगे। इस तरह थांगखा की मांग दिन प्रति दिन बढ़ रही है। रअकोंग थांगखा के देश में राष्ट्र स्तरीय और वैश्विक स्तरीय गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की सूची में शामिल होने के बाद बाजार में रअकोंग थांगखा की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। ऊपरी वुथुन गांव वासी लानखा थांगखा बनाने वाली एक कंपनी का संचालन करते हैं। उनके मुताबिक वर्ष 2006 में रअकोंग कला पहले खेप में राष्ट्र स्तरीय गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेष की सूची में शामिल किया गया। जबकि वर्ष 2009 में इसे युनेस्को द्वारा "मानव के गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष की सूची"में शामिल किया गया। तभी से भीतरी इलाके के कई संग्रहकर्त्ताओं की थांगखा संग्रह करने में रूचि बढ़ी है। अब बाज़ार में रअकोंग थांगखा का भविष्य बेहतर हो रहा है। लानखा का कहना है:

"लोगों की मान्यता हासिल किए जाने के बाद बाज़ार में थांगखा की मांग लगातार बढ़ रही है। वास्तव में मठों और बौद्ध अनुयायियों के थांगखा की मांग कम है। कला-प्रेमी इसे ज्यादा पसंद करते हैं।"

निचले वुथुन गांव के प्रधान छाईरांग तांगचो ने बताया कि वर्ष 2007 से ही वूथुन थांगखा का दाम लगातार बढ़ा है और इसकी बिक्री में इजाफा हो रहा है। ऊपरी और निचला वुथुन गांव रअकोंग थांगखा का उद्गम स्थल है, यहां बनाए जाने वाले थांगखा में दूसरे स्थलों के थांगखा से अधिक विशेष कलात्मक आकर्षण मौजूद होता है। यह वुथुन थांगखा की कीमत दूसरे थांगखा से अधिक होने का मुख्य कारण भी है।

बाज़ार में वुथुन थांगखा की बिक्री अच्छी होने के कारण वुथुन वासियों को बड़ा आर्थिक लाभ भी मिला है। निचले वुथुन गांव के प्रधान छाईरांग तांगचो के अनुसार रअकोंग क्षेत्र के दूसरे स्थलों की तुलना में वुथुन गांव की आर्थिक स्थिति कहीं बेहतर है। उनका कहना है:

"अब वुथुन गांव के कुछ परिवार साल भर थांगखा बेचने से कई लाख युआन कमाते हैं, जबकि कुछ परिवार दसेक हज़ार युआन। अगर चित्र बनाने का स्तर बेहतर हो, और इस क्षेत्र में मशहूर हो, तो साल में ये परिवार लाखों युआन कमाते हैं।"

थांगखा का मूल्य इसके चित्रण तकनीक पर निर्भर करता है। थांगखा हाथ का बना हुआ एक किस्म वाला कलात्मक वस्तु है। इस तरह श्रेष्ठ हस्तनिर्मित थांगखा चित्रों की संख्या सीमित रही है। ऊपरी वुथुन कांगवासी लानखा की कंपनी वुथुन गांव में अग्रिम है, लेकिन साल भर में मात्र 2 से 3 सौ थांगखा बनाए जाते हैं। इसकी चर्चा में लानखा ने कहा:

"थांगखा चित्र दूसरी वस्तुओं से अलग है, जिसकी मांग वर्तमान बाज़ार में लगातार बढ़ रही है। लेकिन थांगखा बनाने का औद्योगिकीकरण नहीं हो सकता। इस तरह थांगखा का उत्पादन ज्यादा नहीं हो रहा। थांगखा चित्र हस्तनिर्मित वस्तु है, जिसकी संख्या सीमित रही है।"

बाज़ार में बड़ी मांग होने के कारण कुछ लोग आधुनिक मशीनों के माध्यम से प्रिंट करके थांगखा बनाकर दस गुना मुनाफ़ा हासिल करते हैं। ऊपरी वूथुन गांववासी थांगखा दुकान के मालिक लानखा को चिंता है कि व्यवसायीकरण से थांगखा कला नष्ट हो जाएगी। उन्हें आशा है कि इस प्रकार की कला का विकास पारंपरिक तरीके से किया जाएगा। लानखा का कहना है:

"थांगखा परम्परागत वस्तु है। मुझे आशा है कि इसका अधिक व्यवसायीकरण नहीं होगा। आज कल देश में आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी स्थिति अच्छी है, थांगखा बाज़ार का विकास भी अच्छा है। कई लोग नकली थांगखा बनाते हैं। मैं इसका विरोध करता हूँ और थांगखा बनाने का पारंपरिक तरीका मानता हूँ। अच्छी गुणवत्ता वाले थांगखा बहुत महंगे बिकते हैं। मैं श्रेष्ठ थांगखा चित्र बनाने की कोशिश करता हूँ।"

लानखा का कथन वुथुन गांव वासियों के मन की बात भी है। उनके लिए थांगखा जीवन बिताने का एक तरीका ही नहीं, अपनी संस्कृति और विश्वास से जुड़ी कला भी है। वुथुन वासी अपने चित्र-कलम के जरिए थांगखा कला को विरासत का रुप लेते हुए उसका विकास करते हैं। साथ ही वे इस तकनीक से ज्यादा अच्छा जीवन बिताने की कोशिश भी करते रहेंगे।

(श्याओ थांग)

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