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    पशुपालन करने वाले एक तिब्बती युवा का परिवर्तन
    2014-10-24 19:54:33 cri

    कुछ वर्षों के प्रयास के बाद फङत्सो पूरी तरह बदल गया। अब वह छिंगहाई प्रांत में एक अंग्रेज़ी अध्यापक बन चुका है। यही नहीं, उसने आत्मशिक्षा पाकर शीपेई(उत्तर-पश्चिम) जातीय विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। तिब्बती युवा फङत्सो ने कहा:

    "नेपाल में मैंने पहली बार शिक्षा और अंग्रेज़ी को महसूस किया था। मेरे पास बहुत से विदेशी मित्र हैं। वहां जीवन बहुत खुशहाल था। तिब्बत में वापस लौटने के बाद मैं अंग्रेजी सीखना चाहने वालों को अंग्रेज़ी पढ़ाना चाहता हूँ। मुझे लगता है कि अंग्रेज़ी बहुत महत्वपूर्ण भाषा है। चीनी लोगों को अंग्रेज़ी बोलने और लिखने में परेशानी होती है। 21वीं सदी में विश्व भर के विभिन्न स्थलों के लोगों के साथ आदान प्रदान करने, भिन्न-भिन्न संस्कृति सीखने और अलग-अलग देश का दौरा करने के लिए अंग्रेज़ी भाषा की आवश्यकता है। अब अंग्रेज़ी भाषा की व्यापकता है। न जाने क्यों, मैं अंग्रेज़ी को बहुत पसंद करता हूँ।"

    फङत्सो ने कहा कि अब उसके जीवन में पहले की तुलना में ज़मीन आसमान का परिवर्तन आया है। पहले वो सिर्फ़ एक चरवाहा था और अपने भविष्य के बारे में वो कुछ भी नहीं सोचता था। लेकिन आज वह एक तरफ़ दूसरों को शिक्षा देता है और दूसरी तरफ़ स्वयं के स्तर को लगातार उन्नत करने के लिए आगे अध्ययन करता है।

    फङत्सो ने कहा कि शिक्षा से उनके जीवन में बदलाव आया है। उसे विश्वास है कि निकट भविष्य में वह स्वयं पर निर्भर रहकर अपना ज्यादा जीवन मूल्य दिखा सकेगा।


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