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गान, नृत्य और वाद्ययंत्र एकिकृत कला---पाथांग श्यानची
2014-07-11 18:18:18 cri

श्यानहू वाद्ययंत्र

गुरु जी के साथ एक साल से अधिक समय श्यानहू वाद्ययंत्र बजाना सीख चुका है। अब ईशा त्सेरिन सिर्फ़ कुछ धुनें बजा सकता है, उसे गुरू जी के बराबर श्यानहू बजाते हुए गीत गाते हुए नाचना नहीं आता। उसे आशा है कि और मेहनत से गुरु जी से लगातार सीखता रहेगा, ताकि भविष्य में गुरु जी के स्तर तक पहुंच सके।

बताया जाता है कि सछ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की पाथांग कांउटी में एक स्वर्ण श्यानची मैदान मौजूद है, जहां हर दिन सैकड़ों नागरिक एकत्र होकर एक साथ श्यानची नाचते हैं। हरेक स्थानीय पुरूषों को गर्व का आभास होता है कि उन्हें पाथांग श्यानची नाच-गान और श्यानहू वाद्ययंत्र बजाना आता है। मधुर श्यानची धुनों के साथ साथ पुरुष और महिला एक बड़ा गोला बनाकर गाते और नाचते हैं, इसी दौरान उन्हें बहुत आनंद और सुख का अनुभव होता है। कानची तिब्बती प्रिफेक्चर की संस्कृति भवन की नृत्य शिक्षक यांगचिन चोमा ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में पाथांग क्षेत्र में बहुत से बच्चों ने प्राइमरी स्कूल में पहली ग्रेड से श्यानहू बजाना सीखना शुरू किया, यहां तक कि कुछ स्कूलों में श्यानची नृत्य को पीटी(फिजिकल ट्रेनिंग) का स्थान दिया गया है। यांगचिन चोमा ने कहा:

"हमारे तिब्बती बहुल क्षेत्र में क्वोच्वांग नृत्य, श्यानची नृत्य और थीथा नृत्य जैसे नृत्य उपलब्ध हैं। मुझे लगता है कि श्यानची नृत्य थोड़ा धीमा नृत्य है। श्यानची नृत्य नाचते समय पुरुष पर्वत की तरह अविचल रहते हैं, जबकि महिला जल की तरह बहुत निर्मल होती हैं, बहुत अच्छा और सुन्दर लग रहा है। हमारे पाथांग में बच्चों को छोटी उम्र से ही श्यानची से संबंधित कक्षा दी जाती है, कुछ स्कूलों में श्यानची नृत्य को पीटी(फिजिकल ट्रेनिंग) का स्थान दिया गया है। छोटे-छोटे लड़कों को श्यानहू वाद्ययंत्र बजाना आता है और प्यारी-प्यारी लड़कियों को श्यानची नृत्य नाचना आता है। अब हमारे यहां श्यानची से संबंधित संस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि इसका भविष्य और सुनहरा होगा। इस समय छात्र-छात्राएं सीख रहे हैं, बड़े होने के बाद वो श्यानहू वाद्ययंत्र बजाते हुए गाते हुए नाचने में सक्षम होंगे।"

इस स्थिति को देखते हुए श्यानहू कलाकार लोसोंग दावा बहुत प्रसन्न हैं। साथ ही उनके तिब्बती जाति के इस विशेष संस्कृति यानी श्यानहू और पाथांग श्यानची को विरासत में लेते हुए विकसित करने का संकल्प दृढ़ हो गया है। उन्होंने कहा:

"श्यानची कला के एक उत्तराधिकारी के रूप में मैं पिछली पीढ़ी के लोगों की संपत्ति की खोज करने के साथ-साथ अपनी जानकारियों को अगली पीढ़ी को सिखना चाहता हूँ। हमें आशा है कि श्यानची जैसी तिब्बती कला का विकास हमारी पीढ़ी तक नहीं टूटना चाहिए। अब हमने संबंधित डेटाबेस स्थापित किया है। विश्वास है कि भविष्य में ये डेटाबेस भावी पीढ़ी के लोगों के लिए मूल्यवान संपत्ति होगी। व्यक्तिगत तौर पर कहा जाए, तो मैं ज्यादा से ज्यादा श्यानची उत्तराधिकारियों का प्रशिक्षण करना चाहता हूँ।"

लोसोंग दावा ने कहा कि पाथांग क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती नागरिक अपनी संस्कृति को खास तौर पर पसंद करते हैं। कोने-कोने में स्थानीय लोगों के गोला बनाकर एक साथ श्यानची नाचते-गाते हुए देखा जाता है। हालांकि वर्तमान में लोसोंग दावा के पास अपना बच्चा नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि भविष्य में वे अपने बच्चों और अपने रिश्तेदारों के बच्चों को श्यानची कला जरूर सीखएंगे। उन्हें लगा कि उनके पास अपनी तिब्बती जाति की इस विशेष कला को पीढ़ी दर पीढ़ी तक विरासत में लेते हुए उसका आगे विकास करने का उत्तरदायित्व है।


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