लोसोंग दावा प्रस्तुति करते हुए
दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के पाथांग क्षेत्र में एक ऐसी नृत्य-गान कला लोकप्रिय है, जिसमें गीत गाना, नाचना और वाद्ययंत्र बजाना शामिल है। अभिनय के दौरान पुरूष श्यानहू वाद्यंत्र बजाते हुए गाते और नाचते हैं, जबकि महिला पूरी आस्तीन वाले वस्त्र पहनकर धुनों पर नाचती और थिरकती हैं। यह पाथांग क्षेत्र में बहुत मशहूर और लोकप्रिय नाच-गान कला है जिसे --पाथांग श्यानची के नाम से जाना जाता है।
श्यानची धुन ज्यादा सुरीली नहीं है, लेकिन इसमें पाथांग लोगों का खुला मन और उन्मुक्त स्वभाव दिखता है। पाथांग श्वानची बजाने में जिस वाद्ययंत्र का प्रयोग किया जाता है उसका नाम श्यानहू है, जो चीनी परम्परागत वाद्ययंत्र अर्हू के जैसा ही है। इस वर्ष 31 वर्षीय लोसोंग दावा पाथांग क्षेत्र में प्रसिद्ध श्यानहू कलाकार हैं। आठ या नौ वर्ष की उम्र में वह श्यानहू बजाना सीखने लगे थे। वर्तमान में वह आराम से तीनों काम एक साथ कर सकते हैं इसका मतलब ये है कि वो श्यानहू बजाते हुए गाना गाते हुए नाच सकते हैं। लोसोंग दावा ने जानकारी देते हुए कहा कि पाथांग श्यानची और श्यानहू कला को सीखाने का तरीका दूसरे संगीत कला के सीखने के तरीके से अलग है। आम तौर पर गुरु से शिष्य तक ध्वनि के माध्यम से प्रत्यक्ष तौर पर सिखाने का तरीका अपनाया जाता है। लोसोंग दावा ने कहा:
"पाथांग श्यानची आम तौर पर गुरु से शिष्य तक ध्वनि के माध्यम से प्रत्यक्ष तौर पर सिखाने का तरीका अपनाता है। सीखने के वक्त कोई स्वरलिपि नहीं होती। गुरु के बोलने से और शिष्य सुनकर सीखाता-सीखता है। सबसे पहले तुम्हें श्यानहू वाद्ययंत्र बजाने के बजाए श्यानची धुन सीखना पड़ता है। जब तुम श्यानची गीत गाने में सक्षम होगे, तब तम्हारे मस्तिष्क में बोध आएगा और धीरे-धीरे यह वाद्ययंत्र बजाना सीख सकोगे।"