लाई गृह में लाई गीत गाते हुए अभिनेत्री
लाई गृह में लाई गीत सुनते हुए दर्शक
चोमा छाईरांग ने कहा कि उनके लाई गृह में गायकों, गायिकाओं और शिष्यों समेत कुल 30 से अधिक सदस्य हैं। इन लोगों की उम्र ज्यादा तौर पर 20 से 30 तक है। हर साल रोज़मर्रे की प्रस्तुतियों के अलावा, वे गृह में लाई सीखने आए व्यक्तियों के लिए 1 से 2 महीने तक लाई गाने से जुड़े विशेष तकनीकी प्रशिक्षण का संगठन भी करते हैं। इसकी चर्चा में चोमा छाईरांग ने कहा:
"मुझे लगता है कि वर्तमान में विरासत में लेते हुए लाई गीत का विकास टूटने की संभावना है। आजकल लाई गायक और गायिकाओं की उम्र अधिकतर 30 से 40 वर्ष तक की होती है, 20 वर्ष आयु वाले युवाओं की संख्या कम है। तेज़ गति से विकसित हो रहे आधुनिक समाज में गायक-गायिकाओं द्वारा गाए गए लाई गीत पहले प्राकृतिक क्षेत्रों में गाए गए गीतों की तुलना में कम हो रही है। इस लाई गृह में मैं लाई सीखने वाले शिष्यों को पारंपरिक गायन शैली और तकनीक पढ़ाता हूँ। अब मुझे थोड़ी सफलता भी प्राप्त हुई है। लेकिन तिब्बती लोगों की पसंदीता कला के रूप में लाई को विरासत में लेते हुए विकसित किया जाना चाहिए। मुझे आशा है कि सरकार इसके संरक्षण पर जोर देगी।"
लाई गायक चोमा छाईरांग ने कहा कि लाई कला का पीढ़ी दर पीढ़ी विकास संवर्धन के लिए वे वर्ष 2011 में हाईनान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के अन्य 80 से अधिक लाई गायक-गायिकाओं के साथ मिलकर"लाई संघ"की स्थापना की है। लाई कला के विकास के बारे में अपनी आशा जताते हुए चोमा छाईरांग ने कहा:
"सर्वप्रथम, मैं आशा करता हूँ कि हमारे हाईनान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की सरकार लाई से संबंधित ज्यादा प्रतियोगिताओं का आयोजन करेगी, मुझे लगता है कि यह युवा लाई गायकों के विकास के लिए मददगार होगा। दूसरा, लाई को राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक सूचि में शामिल किया गया है। आशा है कि सरकार हमारे लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेगी, ताकि तिब्बती जाति की इस कला को विरासत में लेते हुए और अच्छी तरह विकसित किया जा सके।"
चोमा छाईरांग के लाई गृह से रवाना होने के वक्त मंच पर गायक और गायिका लाई प्रेम गीत गाने में जुटे हैं। मंच के नीचे दर्शक गीत सुनने का आनंद लेते हैं। विश्वास है कि छिंगहाई तिब्बत पठार पर जन्म लेने वाली इस लोक कला का लम्बे समय तक और विकास होगा।