कस्बे में कैफ़े
लांगमू मठ कस्बे का दृश्य
लांगमू मठ कस्बे की निवासी
लांगमू मठ में भिक्षु
लांगमू मठ में भिक्षु
लांगमू मठ कस्बे में हमें मलेशिया से आये 4 बुजुर्ग प्रवासी चीनी मिले। उनकी कानसू प्रांत की 42 दिवसीय यात्रा की योजना है। वास्तव में लांगमू मठ उनकी योजना में नहीं शामिल है, लेकिन इस बार की अचानक हुई यात्रा से उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई है। एक प्रवासी चीनी हो ह्वा थाइ ने अपने अनुभव बताते हुए कहा:"हम चीन के इतिहास से परिचित हैं और उसकी बेहतर जानकारी भी लेते हैं। यहां चीन की संस्कृति का जन्मस्थान है, इसलिये हमने कानसू प्रांत की यात्रा करने की सोची। हमने पर्यटन गाइड बुकों के अनुसार हमारी यात्रा योजना बनायी, लेकिन यहां आने के बाद हमें पता चला कि यहां पर्यटन गाइड बुक से पूरी तरह अलग है।"
अगर हम कहते हैं कि जेम्स हिलटन द्वारा लिखे गये खोया क्षितिज से पश्चिम के लिये तिब्बत का रहस्य खुला है, जबकि अमेरिकी मिशनरी के तिब्बत जीवन नामक बुक से पर्यटकों को लांगमू मठ कस्बे का पता चला है। लेकिन लोकप्रियता और प्रसिद्धता बढने के चलते शांतिमय लांगमू मठ कस्बा व्यवसायीकरण की ओऱ कदम रखता रहता है।
अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिये यहां के एक होटल में सजावट हो रही है और स्टाफ को ट्रेनिंग दी जा रही है। उसने चीनी प्रसिद्ध पर्यटन सेवा वेबसाइट में विज्ञापन जारी किया। होटल के मैनेजर ने कहा:"अधिकांश पर्यटक वेबसाइट के जरिए होटलों की बुकिंग करते हैं, उदाहरण के लिये, छूनाएर वेबसाइट, सी-ट्रिप वेबसाइट। पहले मैंने एक विदेशी भाषा स्कूल में पढ़ाई की, इसलिये मैं कुछ विदेशी भाषा जानता हूं।"
वर्तमान लांगमू मठ कस्बे की सड़क के दोनों किनारे बहुत से दुकानें दिखाई देती हैं। इसके विपरीत में परंपरागत जातीय पोशाक पहनने वाले बुजुर्ग इन आधुनिक दुकानों के द्वारों पर बैठे हुए नजर आते हैं।
शोर कस्बे के पास स्थित शांत मठ, कैफे द्वार पर खड़ी तिब्बती जातीय मां, स्वच्छ नदी, तिब्बती वास्तुकला और विभिन्न बैक पैकरों से इस शांत तिब्बती कस्बे की स्थापना हुई है। आशा है कि वह विदेशी पर्यटकों और आर्थिक निवेश को आकर्षित करने के साथ साथ शांत रह सकेगा।