उन्होंने आगे कहा कि चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देश एक दूसरे से सीख सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों की जनता के बीच आवाजाही व सहयोग को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस बारे में उन्होंने अनेक सुझाव पेश किये। उन्होंने कहा कि अब दोनों देश क्षेत्रीय संस्थाओं के बीच आदान प्रदान व सहयोग का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों को युवाओं के बीच आवाजाही, आर्थिक व व्यापारिक आदान-प्रदान और पर्यटन को प्रगाढ़ करना चाहिए। अहम क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सवालों पर सहयोग मजबूत करना चाहिए। साथ ही दोनों को परम्परागत संस्कृति का पुनरुत्थान करके वैज्ञानिक आदान प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का योग, चीन का थाईची और दोनों देशों की परम्परागत चिकित्सा शास्त्र हमारे सांस्कृतिक विरासतों का एक भाग है। भारत व चीन के उच्च शैक्षिक संस्थानों के बीच आदान-प्रदान को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि बाद में दोनों देश न सिर्फ पश्चिमी देशों से विज्ञान व तकनीक सीख सकते, बल्कि एक दूसरे से भी सीख सकेंगे।
(श्याओयांग)