छडंतू शहर अनेक रमणीक स्थानों और प्राचीन अवशेषों के लिए भी प्रसिद्ध है। उदाहरण के लिए तू फू स्मृति भवन, जो थाडं राजवंश(618-907) के महान कवि तू फू का पुराना निवास स्थान था। "ऊहोछे" भवन जो तीन राज्य काल(220-280) के शू राज्य के प्रधान मंत्री चूक ल्याडंकी स्मृति में स्थापित हुआ था। "वाडंच्याडं" (नदी का दर्शन) मीनार, थाडं राजवंश की कवयित्री श्वे थाओ ने जहां कविताएं लिखी थीं। 1942 में खुदाई से प्राप्त पांच राजवंश के शु राजा वाडं च्येन(847-918) का मकबरा, जिसमें बहुत से दुर्लभ प्राचीन अवशेष हैं। इनके अलावा ताओ धर्म का छिडंयाडं विहार और बौद्ध धर्म का वनशू मंदिर भी है।
छडंतू शहर में बहुत सी पुरानी परम्परागत दस्तकारियां हैं। रेशमी कपड़े के अलावा सछ्वान कसीदाकारी चीन की चार मशहूर कसीदाकारियों में एक है। सोने व चांदी के तारों से बर्तन बनाने का इतिहास भी बहुत पुराना है। इन्हें बनाने की तकनीक भी बहुत उच्च कोटि की है। बांस से बना चीनी मिट्टी पात्र का आवरण विशेष परम्परागत दस्तकारी है। इसकी विशेषता यह है कि बांस की सींकें बाल की तरह महीन होती हैं और उनका रंग भी सुंदर होता है। इस सदी के शुरू में इस दस्तकारी को पनामा मेले में पदक मिला।
सछ्वान प्रांत की पाककला चीन की आठ बड़ी पाक कलाओं में एक है। देश-विदेश के भोजनप्रेमी इसे पसंद करते हैं। छडंतू का व्यंजन बहुत लोकप्रिय है। क्योंकि यह बहुत स्वादिष्ट है, इसे खरीदने में ज्यादा खर्च और समय की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए यह चीनी "सनाक" (चटपटी) खाना के नाम से मशहूर है। सड़कों व गलियों में हजारों जलपानगृह फैले हुए हैं, जिनमें सौ किस्मों के व्यंजन तैयार होते हैं। छोटे-बड़े सभी जलपान-गृहों के रसोइया पाककला में निपुण हैं। बहुत से छोटे जलपानगृहों में परम्परागत व्यापारिक शैली के अनुसार व्यंजन भूनने व पकाने का काम दुकान के सामने ही किया जाता है।