पारिस्थितिकि व पर्यवरण का सुधार कर ऊंटों व वीरान रेगिस्तान तथा विशाल घास मैदान का सामंजस्यपूर्वक सहअस्तित्व वर्तमान अराशान के चरवाहों की अत्यावश्यकता है। घास मैदान व ऊंट पालन के अनवरत विकास और स्थानीय चरवाहों के जीवन स्तर की उन्नति के लिये स्थानीय सरकार व ऊंट संघ ने ऊंटों के स्रोत के विकास की अथक कोशिशें की हैं। अराशान ऊंट संघ के अध्यक्ष पाइंगताई ने इस तरह परिचय देते हुए कहा,कई प्रसिद्ध देशी विदेशी कम्पनियों ने हमारे कामों में बड़ी दिलचस्पी दिखायी और हमारे साथ ऊंट दूध, मिट व ऊन जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर वार्ता की। अमरीकी संबंधित विशेषज्ञों ने विशेष तौर पर ऊंट के दूध पर तफसील से अनुसंधान किया और यह परिणाम निकाला कि ऊंट का दूध कैंसरों व मधुमेह जैसी कठीन बीमारियों के इजाज में असरदार है। इसलिये हम एक या दो टन ऊंट दूध का उत्पादन अडडे की स्थापना करने को तैयार हैं, ताकि रोगों के इलाज व निरोध में योगदान प्रदान किया जा सके।
साथ ही स्थानीय सरकार व चरवाहों के समर्थन में अराशान क्षेत्र ने 2005 में ऊंट परिरक्षित घास पारिस्थितिकि संघ की स्थापना की। अब यह संघ ऊंटों के पालन को बढ़ाने में विदेशी सहयोग की खोज में संलग्न है, ताकि स्थानीय रेतीलीकरण को सुधारने व घास पारिस्थितिकि संरक्षण के लिये और अधिक धन राशि व तकनीकी समर्थन उपलब्ध कराया जाये।