दस वर्ष पहले शेनशी प्रांतमें खुदाई में छिन राजवंश के प्रथम सम्राट के सैनिकों व घोड़ों की मूर्तियां प्राप्त हुई थीं, जो दुनिया का "आठवां आश्चर्य" कहलाती हैं। 1984 में पुरातत्ववेत्ताओं ने पूर्वी चीन के च्याडंसू प्रांत के श्वीचओ शहर के शिचि पर्वत पर खुदाई कर पश्चिमी हान राजवंश के सैनिकों व घोड़ों की 2500 मूर्तियां प्राप्त कीं। यह चीन में तीसरी बार बड़े पैमाने पर प्रांत सैनिकों व घोड़ों की मूर्तियां थीं और उन की संख्या भी कई ज्यादा थी।
शिचि पर्वत च्याडंसू प्रांत के श्वीचओ उपनगर में स्थित है, इस की ऊंचाई समुद्र की सतह से 61 मीटर है, पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में विस्तृत भूमि फैली हुई है, इस के नजदीक पीली नदी का पुराना जल मार्ग सिश्वेइ नदी है। यहां पृष्ठभाग में पर्वत फैला हुआ है और सामने नदी बहती है।
इस बार मूर्तियां रखने के तीन गढ़े ज्ञात हुए हैं, जो पर्वत के साथ-साथ बने हुए थे, इस का पूर्वी भाग ऊंचा है और पश्चिमी भाग नीचा। तीन गढ़े उत्तर से दक्षिण तक, एक के बाद एक फैले हुए हैं। नम्बर 1 और नम्बर 2 गढ़ों की लम्बाई 25 मीटर है और चौड़ाई 2 मीटर है। हरेक गढ़े में सैनिकों व घोड़ों की मूर्तियां पूर्व व पश्चिम में दो चौकोर युद्ध-व्यूहों के रूप में खड़ी हुई हैं, देखने में ऐसा लगता है, मानो आज की फौजी यूनिट हो। हरेक व्यूह में मूर्तियों का हाव-भाव भिन्न भिन्न है, उदाहरण के लिए कवचधारी मूर्तायं, खड़ी हुई मूर्तियां, बैठी हुई मूर्तियां और केश विन्यासी मूर्तियां। ये सब सलीके से रखी हैं और एकदम मिश्रित फौजी यूनिट सी लगती है। नम्बर 1 गढ़े के पश्चिमी ब्यूह में मुख्य तौर पर मूर्तियां खड़ी हुई हैं, जिन में ज्यादातर केश विन्यासी मूर्तियां हैं। पूर्वी ब्यूह मं बैठी हुई मूर्तियां व कवचधारी मूर्तियां ज़्यादा पाई गईं। नम्बर 1 गढ़े का पूर्वी ब्यूह एक कमान संगठन है। इस चौकोर ब्यूह के सामने युद्ध में इस्तेमाल में लाए जाने वाले रथ खड़े हैं, जो चार-चार घोड़ों से जुते हुए हैं। घोड़ों की मूर्तियां 70 सेन्टीमीटर लम्बी और 60 सेन्टीमीटर ऊंची है। देखने में ये बहुत सुन्दर और शक्तिशाली लगते हैं। हर रथ में एक सेनापति की मूर्ति खड़ी है, जो बड़ी आस्तीन वाला ढीला चोगा पहने हुए हैं। उस की कमर के बाईं तरफ एक तलवार लटकी हुई है। सेनापति की मुद्रा बहुत गंभीर दिखाई देती है और उस की आंखों में तेज़ झलकता है। सैनिकों की मूर्तियों की वर्दी सफेद है, लेकिन उन के कॉलर व आस्तीनों के किनारे लाल झालरों से सुसज्जित हैं। कुछ मूर्तियों के होंठ लाल रंग से रंजित हैं, जो देखने में बहुत सुन्दर और ओजस्वी मालूम होती हैं। इन घोड़ों की मूर्तियां बहुत हट्टी-कट्टी हैं, इन सब की पूंछ नीचे की ओर बनी हुई हैं। ये मूर्तियां खुदाई से प्राप्त छिन राजवंश काल के प्रथम सम्राट के मकबरे में रखे हुए कांस्य-घोड़ों की तरह ही हैं। मगर शेनशी प्रांत के श्येनयाडं में खुदाई से प्राप्त सैनिकों व घोड़ों की मूर्तियां लाल, श्याम व श्वेत रंग से रंजित हैं, इसलिए ये मूर्तियां देखने में प्रभावशाली लगती हैं।