सियरा लिओन में जन्मी एक बच्ची की कहानी

2020-11-05 09:00:01 CRI

सियरा लिओन में जन्मी एक बच्ची की कहानी

दोस्तों, कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 विश्व की सभी जनता के लिये एक खास मुश्किल वर्ष बन गया है। अफ़्रीका के सियरा लिओन में काम करने वाली एक चीनी महिला ल्वू ईंगछाओ के लिए यह वर्ष बहुत असाधारण और अविस्मर्णीय है, क्योंकि इस वर्ष उनकी शादी हुई है और एक बच्चे की मां भी बनी हैं।

सियरा लिओन इबोला, मलेरिया, टाइफाइड बुखार, एच.आई.वी. आदि वायरस का प्रकोप रहा है। यहां काम करना और जीवन बिताना एक महिला के लिये बहुत महत्वपूर्ण और साहसी फैसला है।

वर्ष 2018 के अगस्त में ल्वू ईंगछाओ को पेइचिंग शहरी निर्माण समूह द्वारा सियरा लिओन में काम करने के लिये भेजा गया। उसी समय सुश्री ल्वू और उनके पति की शादी को केवल आधा साल ही हुआ था। इस विवाहित जोड़े को अलग न करने के लिये कंपनी ने सुश्री ल्वू और उनके पति को एक साथ सियरा लिओन भेज दिया। अपना पद संभालने के बाद सुश्री ल्वू जल्द ही वहां अपने काम से परिचित हो गयीं, और अच्छी तरह काम करने की वजह से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय विभाग के वर्ष 2019 श्रेष्ठ कर्मचारी से सम्मानित किया गया।

वर्ष 2019 के दिसंबर में, यानी सियरा लिओन में एक साल काम करने के बाद सुश्री ल्वू गर्भवती हो गयीं। फिर वह बच्चे को जन्म देने के लिये चीन वापस लौटने की तैयारी में थीं। लेकिन 14 फ़रवरी से मिश्र में कोविड-19 का पहला पुष्ट मामला सामने आया, इसलिये 20 मार्च को सियरा लिओन सरकार ने 23 मार्च से अंतर्राष्ट्रीय उड़ान बंद करने की घोषणा की, उसी समय 21 व 22 मार्च की सभी हवाई टिकट बिक चुके थे।

31 मार्च को सियरा लिओन में कोविड-19 का पहला पुष्ट मामला मौजूद था। इसके बाद चीन-सियरा लिओन मित्रवत अस्पताल सियरा लिओन सरकार द्वारा कोविड-19 के नामित अस्पताल को निश्चित किया गया, इसलिये इस अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग क्लिनिक बंद कर दिया। सियरा लिओन की सहायता करने आया चीनी चिकित्सा दल भी गर्भवती महिला का इलाज नहीं कर सका, क्योंकि सियरा लिओन सरकार ने चिकित्सा दल को निजी तौर पर इलाज करने की अनुमति नहीं दी। महामारी के कारण स्थानीय भारतीय अस्पताल ने भी प्रसूति व स्त्री रोग क्लिनिक बंद कर दिया। बिना अस्पताल व चिकित्सक के सुश्री ल्वू गर्भावस्था की जांच नहीं करवा सकीं।

इसकी चर्चा में ल्वू ने कहा कि अगर किसी ने पूछा कि क्या आप चिंतित हैं? हां, मुझे ज़रूर चिंता थी, लेकिन जीवन को आगे बढ़ना ही था। चीन वापस लौटने के लिये सुश्री ल्वू और उनकी कंपनी ने हर तरह की कोशिश की। वह निरंतर रूप से महामारी की स्थिति पर ध्यान देती थीं, और चीन वापस लौटने का हर मौका नहीं गंवाना चाहती थीं।

5 अप्रैल को ल्वू ईंगछाओ को माइक्रोब्लॉग पर यह खबर मिली कि सहायता देने के लिये हुपेई प्रांत से आयी नर्स च्यांग चिनचिन कोविड-19 से संक्रमित हो गयी है, और उनकी हालत बहुत खराब थी। उसी समय च्यांग चिनचिन के पति हान वनथाओ भी सियरा लिओन में काम करते थे, इसलिये ल्वू की कंपनी और हान की कंपनी ने एक साथ चीनी दूतावास को रिपोर्ट दी और उनके चीन वापस लौटने का प्रबंध करने का आवेदन भी दिया। चीनी दूतावास ने आपात बैठक बुलाकर चार्टर विमान का प्रबंध करने पर चर्चा की।

क्योंकि सियरा लिओन का अपना हवाई विमान नहीं है, इसलिये चार्टर विमान का प्रबंध बहुत मुश्किल था। अंत में योजना ऐसी बनायी गयी है कि 11 अप्रैल को एसओएस बचाव विमान के माध्यम से सियरा लिओन से ब्रसेल्स तक ल्वू को भेजा जाएगा, फिर कनेक्टिंग विमान से वह चीन वापस लौट जाएंगी। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दूतावास ने उस विमान में एक प्रसूति चिकित्सक को भी भेजने की योजना बनायी। लेकिन खेद की बात थी कि रवाना होने से एक दिन पहले उन्हें गर्भवती महिला के बचाव विमान में चढ़ने की अनुमति नहीं मिली, जिससे ल्वू के पास ब्रसेल्स से पेइचिंग जाने की हवाई टिकट रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

2 मई को ल्वू इंगछाओ के गर्भाशय में संकुचन पैदा हुआ। उन्होंने टेलीफ़ोन से चीनी चिकित्सा दल के डॉक्टर से परामर्श किया। डॉक्टर ने उन्हें ऑक्सीजन लेने की सलाह दी, लेकिन सियरा लिओन में महामारी की स्थिति बहुत गंभीर थी। वह अस्पताल जा नहीं सकीं, केवल घर में खुद को निरीक्षण करने के लिए कहा गया। कंपनी के नेता ने इस बात का प्रबंध किया कि 5 मई को पेइचिंग महिला और बाल अस्पताल के चिकित्सक ने सुश्री ल्वू को ऑनलाइन पर निदान किया। कंपनी में साथियों की सहायता देखकर ल्वू का मन आभार से भर गया।

उसी समय ल्वू गर्भावस्था के अंतिम दौर में पहुंच गईं, इसलिये उन्होंने चीन वापस जाकर जन्म देने की आशा भी छोड़ दी। लेकिन उनकी कंपनी और चीनी दूतावास निरंतर रूप से उनके लिये अस्पताल ढूंढ़ने और चार्टर विमान का प्रबंध करने की कोशिश करते रहे। फिर 18 जुलाई को एक चार्टर विमान मिला, लेकिन उसी समय ल्वू के बच्चे की डिलीवरी की अपेक्षित तिथि से एक दिन ऊपर हो गया था। एयरलाइन के नीति-नियमों के अनुसार 35 सप्ताह से अधिक गर्भावस्था वाली महिलाओं को विमान पर चढ़ने की अनुमति नहीं है। ल्वू को चीन वापस लौटने की मदद देने के लिये चीनी चिकित्सा दल और स्थानीय भारतीय अस्पताल के चिकित्सकों ने उनकी गर्भावस्था की स्थिति की जांच की, और विमान पर चढ़ने के लिए प्रमाण–पत्र दिया। पर खेद की बात रही कि एयरलाइन ने इस वजह से ल्वू को विमान पर चढ़ने के लिए इनकार कर दिया कि महामारी के दौरान अगर बच्चा विमान में पैदा हो जाता है, तो विमान शायद ठीक समय पर आपातकालीन लैंडिंग नहीं कर सकेगा।

ऐसी स्थिति में चीन वापस लौटने का अंतिम मौका फिर एक बार हाथ से निकल गया। इसके बाद ल्वू की कंपनी के प्रबंध में 30 जुलाई को ल्वू व चीनी अस्पताल के चिकित्सकों के बीच फिर एक बार ऑनलाइन वीडियो बातचीत हुई। चिकित्सकों ने ल्वू को प्रसव की पूर्व सावधानियों और नवजात की देखभाल के बारे में प्रशिक्षण दिया। उधर, चीनी दूतावास के समन्वय से सियरा लिओन स्थित चीनी चिकित्सा दल के चिकित्सकों को ल्वू को प्रसव में मदद देने की अनुमति मिली। ल्वू के लिए और एक प्रभावित बात यह रही कि क्योंकि स्थानीय अस्पताल में रक्त बैंक नहीं है। उन्हें प्रसवोत्तर रक्तस्राव से बचाने के लिये कंपनी के नेता और साथियों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया।

हालांकि सियरा लिओन में जीवन बिताने का वातावरण कठोर है, और सभी लोग महामारी की छाया में रहते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में उनके साथियों ने सभी मुश्किलों को दूर कर उनकी मदद की, जिसे लेकर वे बहुत प्रभावित और आभारी हैं।

12 घंटों की पीड़ा के बाद ल्वू इंगछाओ ने अंत में एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ और सुरक्षित हैं। ल्वू ने अपनी बच्ची का नाम छू मूई रखा है, क्योंकि इस बच्ची का जन्म सभी लोगों के प्रेम व देखभाल में हुआ है।

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