इस वर्ष चीन और श्रीलंका के बीच राजनयिक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ ही नहीं, दोनों देशों के बीच "रबर राइस संधि" पर हस्ताक्षर करने की 65वीं वर्षगांठ भी है। चीन स्थित श्रीलंका के पूर्व राजदूत बर्नार्ड गूनेटिल्लेके ने हाल में चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के संवाददाता को दिए एक खास इन्टरव्यू में कहा कि श्रीलंका और चीन के बीच मित्रवत आवाजाही का इतिहास बहुत पूराना है। कुछ दिन बाद पेइचिंग में आयोजित "एक पट्टी एक मार्ग" अंतरराष्ट्रीय सहयोग का शिखर मंच से दोनों देशों के बीच चतुर्मुखी सहयोग को मज़बूत किया जाएगा और साथ ही श्रीलंका के विकास को नया मौका मिलेगा।
गूनेटिल्लेके ने कहा कि साल 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने "एक पट्टी एक मार्ग" वाला प्रस्ताव पेश किया, जिसका श्रीलंका की पूर्व और वर्तमान सरकार का पूरा समर्थन मिला। श्रीलंका इस प्रस्ताव के रणनीतिक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है, रेशम मार्ग आर्थिक पट्टी देश के लिए महत्वपूर्ण है। श्रीलंका के विचार में इस प्रस्ताव से श्रीलंका को वाणिज्य और विकास का मौका ही नहीं, रोज़गार के अवसर भी बढ़ेगा, इसके साथ ही श्रीलंकाई जनता को आदान प्रदान करने का अधिक अवसर भी मिलेगा।
जानकारी के मुताबिक साल 2016 में चीन श्रीलंका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार और आयात-स्रोत देश बन गया है। द्विपक्षीय व्यापार की रकम 4 अरब 56 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई। इसके साथ ही चीन श्रीलंका के सबसे अहम निवेश देशों में से एक भी है। गूनेटिल्लेके ने कहा कि श्रीलंका में कई महत्वपूर्ण बुनियादी संस्थापन की परियोजनाओं का निर्माण चीनी निवेशकों और निर्माताओं के समर्थन से अलग नहीं किया जा सकता। खास कर चीन के निवेश से निर्माण किए जा रहे कोलंबो बंदरगाह परियोजना ने 80 हज़ार स्थानीय रोज़गार मुहैया करवाया गया, इस परियोजना से संपूर्ण क्षेत्र यहां तक कि श्रीलंका के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
(श्याओ थांग)