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गौरतलब है कि सछ्वान का संक्षिप्त नाम"शू"है, जहां की प्राचीन संस्कृति शू संस्कृति कही जाती है, जबकि छोंगछिंग की संस्कृति"पा संस्कृति"कहलाती है, इसी क्षेत्र में संस्कृति को"पाशू"संस्कृति के नाम से मशहूर है। पाशू संस्कृति चीनी राष्ट्र की संस्कृति का एक अहम अंग है।
"न्यू स्पेस"किशोर विकास केंद्र में भारतीय युवाओं को छह ग्रुप में बांटकर चीनी हस्तलिपि, चीनी कूंफ़ू, सछ्वान के विशेष पकवान थांग-युआन बनाना, सछ्वान ओपेरा का मुखौटा बनाना, चीनी पारंपरिक डाइंग और आटे से मूर्ति बनाना जैसी जानकारी सीखने का अनुभव करवाया गया।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य इशांत गुप्ता ने सछ्वान ओपेरा के मुखौटा बनाने के ग्रुप में भाग लिया। शिक्षक की सहायता से उसने सफलता से एक मुखौटा बनाया। गुप्ता ने कहा कि यह उसकी पहली छंगतु और पहली चीन यात्रा है। चीनी संस्कृति से उन्हें बड़ा लगाव है। चीन और भारत के बीज आवाजाही का इतिहास हज़ारों वर्ष पुराना है। इस बार उसने चीनी संस्तृति के प्रतिनिधित्व वाले इस मुखौटे पर नारंगी, सफेद और हरे रंग का प्रयोग किया, यह भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का रंग है। मुखौटे पर उसने राष्ट्रीय ध्वज के चक्र पर"चीनी और भारतीय युवाओं की एक दूसरे की यात्रा परियोजना"शब्द लिखे।
गुजरात से आए नीरज गोयल गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के चीनी भाषा विभाग में एमए की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच साल तक चीनी भाषा सीखने के बावजूद उनका यह चीनी हस्तिलिपि के साथ पहला संपर्क है। उन्होंने चीनी पारंपरिक ब्रश के माध्यम से शब्द लिखने का प्रयास किया। गोयल ने शिक्षक की मदद से सात किस्मों वाले चीनी शब्द"फ़ू"लिखा। चीनी भाषा में"फ़ू"का अर्थ सोभाग्य और आनंद होता है। गोयल ने कहा कि वह इन शब्दों को भारत वापस ले जाएंगे, उम्मीद है कि सौभाग्य और आंनद घर पहुंचेगा।
बता दें, भारत के विभिन्न स्थलों से आए 200 युवा 17 जून को पेइचिंग पहुंचे। 18 जून से वे दो ग्रुपों में चीन के अलग-अलग शहरों का दौरा करने लगे। एक ग्रुप के सौ युवा दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु, क्वांगशि च्वांग स्वायत्त प्रदेश की राजधानी क्वेइलिन और दक्षिण चीन के क्वांगतोंग प्रांत की राजधानी क्वांगचो का दौरा कर रहे हैं। जबकि दूसरे ग्रुप के सौ भारतीय युवा उत्तर पश्चिमी चीन के शान्नशी प्रांत की राजधानी शीआन, पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत की राजधानी नानचिंग और केंद्र शासित शहर शांगहाई की यात्रा करेंगे।
(श्याओ थांग)
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