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इन दिनों दो सौ भारतीय युवाओं का दल चीन के दौरे पर है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से आए दल के सदस्य दो हिस्सों में चीन के विभिन्न शहरों का दौरा कर रहे हैं। इसी संदर्भ में सौ युवाओं का एक दल एक सप्ताह तक दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु, क्वांगशी च्वांग स्वायत्त प्रदेश की राजधानी क्वेलिन और दक्षिण चीन के क्वांगतोंग प्रांत की राजधानी क्वांगचो का दौरा करेगा। जबकि दूसरा दल उत्तर पश्चिमी चीन के शान्नशी प्रांत की राजधानी शीआन, पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत की राजधानी नानचिंग और शांगहाई की यात्रा करेगा।
19 जून को सौ युवाओं ने प्राचीन शहर शीआन का दौरा किया। शीआन चीन-भारत मैत्री का एक आदर्श शहर है। प्राचीन थांग राजवंश के महाभिक्षु ह्वान त्सांग गुजरात जाकर भारत से बौद्ध सूत्र चीन वापस लाए, उन्होंने शीआन में भारतीय बौद्ध सूत्रों का अनुवाद किया। वर्ष 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा का पहला पड़ाव भी शीआन शहर था।
भारतीय युवाओं ने शीआन में सुप्रसिद्ध महा त्सीअन मठ और महा शिंगशान मठ का दौरा किया। तायान पगोडा यानी जंगली हंस पगोडा महा त्सीअन मठ में स्थित है, जहां महाभिक्षु ह्वान त्सांग ने भारत से लाए बौद्ध सूत्रों का अनुवाद किया था।
महा शिंगशान मठ एक प्राचीन मंदीर भी है। चीन के श्वई और थांग राजवंशों (581—907) में बौद्ध धर्म शीआन में बहुत लोकप्रिय था। भारत से आए भिक्षुओं ने इस मठ में बौद्ध सूत्रों का अनुवाद किया और बौद्ध मंत्र सिखाये। महा शिंगशान मठ तत्कालीन छानआन(शीआन का प्राचीन नाम) बौद्ध सूत्रों के अनुवाद तीन प्रमुख स्थलों में से एक था, जो चीन-भारत सांस्कृतिक आदान प्रदान इतिहास में एक महत्वपूर्ण जगह है।
शीआन की यात्रा के दौरान भारतीय युवा इन दो दिनों में विश्वविख्यात टेराकोटा यानी छिन राजवंश के पहले सम्राट छिन शह्वांग की सिपाही अश्व मूर्ति सेना देखेंगे। इसके अलावा भारतीय युवा शीआन के विश्वविद्यालय जाकर चीनी युवाओं के साथ विचार विमर्श करेंगे। इस मौके पर वे"एक पट्टी एक मार्ग"विषय पर संगोष्ठी भी आयोजित करेंगे।
(श्याओ थांग)
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