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तिब्बती बौद्ध धर्म चीन के तिब्बती व मंगोल जाति बहुल इलाकों में प्रचलित है ।इसे लामा धर्म भी कहा जाता है ।यह प्राचीन वह भारत व चीन के भीतरी इलाक से आये बौद्ध धर्म और तिब्बत के प्राचीन स्थानीय धर्म के मिश्रण से पैदा तिब्बती विशेषता वाला बौद्ध धर्म है ।
भीतरी चीन व भारत की बौद्ध संस्कृति के प्रभाव में आकर तिब्बत के बौद्ध मठों की मिश्रित शैली दिखाई पड़ती है ।उन का बाहरी आकार आम तौर पर हान जाति के महल की तरह है ,जबकि उन के भीतरी ढांचे व सजावट में भारतीय कला का प्रभाव नजर आता है ।ल्हासा स्थित पोताला महल व चेपांग मठ और छिंगहाइ प्रांत का कुम्बुम मठ तिब्बती बौद्ध धर्म की प्राचीन वास्तु कला के श्रेष्ठ निर्माण हैं ।
तिब्बती मठों में तिब्बती बौद्ध धर्म के रहस्यवाद पर बड़ा ध्यान दिया जाता हैं ।तिब्बती मठ का भवन आम तौर पर बहुत ऊंचा , चौड़ा और गहन होता है । भवनों के स्तंभों पर रंगबिरंगी धार्मिक पकाता व कंबल बंधे हैं । भवनों में रोशनी धुंधली है और माहौल रहस्यमय लगता है ।मठ की दीवारों का लाल रंग है और सूत्रमहलों व स्तूपों का सफेद रंग है ,जबकि खिड़कियों का काला रंग होता है ।ऐसे रंगों के इस्तेमाल से रहस्यमय माहौल उत्पन्न होता है ।
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