Saturday   Aug 16th   2025  
Web  hindi.cri.cn
जम हुए भात का टुकड़ा खाने की कहानी

प्राचीन चीनी प्रसिद्ध रजनीतिज्ञ और साहित्यकार फान चुंगयन ने चीन के इतिहास में असाधारण योगदान किया था , वह साहित्य और सैन्य कला में अतूल्य योग्यता रखता था । बालावस्था में उस की मेहनत व लगन से पढ़ने की कहानी भी चीन देश में मशहूर है ।

फान चुंगयन दसवीं शताब्दी के सुंग राजवंश के लोग था । तीन साल की उम्र में उस का पिता बीमारी के कारण चल बसे , परिवार का जीवन अत्यन्त दूभर था । पन्दरह सोलह साल की उम्र में वह पढ़ने के लिए तत्काल में बहुत मशहूर इंगथ्यानफु विद्यालय में दाखिल हो गया । विद्यालय में वह अत्यन्त मेहनत से पढ़ता था , उस का जीवन बहुत कठिन और कठोर था , अनाज खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं नसीब होने के कारण वह रोज पतला भात खाता था । रोज सुबह वह चावल का पतला भाप पकाता था , जब भाप ठंडा पड़ने से जम हुआ , तो वह उस के तीन टुकड़े काट कर बना देता था , रोज तीन जून के भोजन के लिए एक एक टुकड़ा खाता था । तरकारी के लिए वह नमकीन सब्जी को महीन कण बना कर खाता था ।

एक दिन , जब फान चुंगयन भोजन कर रहा था , उस का एक दोस्त उस से मिलने आया , फान चुंगयन का इतना खराब खाना देख कर दोस्त को बड़ी हमदर्दी हुई , उस ने पैसा निकाल कर फानचुंगयन को खाना सुधारने के लिए देना चाहा , लेकिन फान चुंगयन ने बड़े विनम्र से ,किन्तु दृढ़ता के साथ पैसा लेने से इनकार किया । लाचार हो कर दोस्त ने दूसरे दिन बड़ी मात्रा में बढ़िया खाद्य पदार्थ ले कर उसे दिया , इस बार फान चुंगयन को ये खाद्य पदार्थ स्वीकार कर लेना पड़ा ।

कुछ दिन बाद , दोस्त फिर उस से मिलने आया , वहां यह देख कर दोस्त को बड़ी हैरान हुआ कि पिछले समय उस ने फानचुंगयन को जो मुर्गी मछली जैसा स्वादिष्ट खाना दिये थे , वह सब खराब हो गए थे , उन का एक छोटा टुकड़ा भी फान चुंगयन ने नहीं खाया । दोस्त को बड़ी नाखुशी हुई और कहा कि आप को तो बड़ा अहंकार निकला है , थोड़ी सी खाने की चीजें भी लेना नहीं चाहते है , दोस्त होने के नाते मुझे बड़ी दुख हुई है ।

फान चुंगयन ने मुस्कराते हुए कहा कि आप को गतलफहमी हुई है , असल में यह बात नहीं है कि मैं ऐसा खाना नहीं खाना चाहता हूं , सच्च तो यह है कि मुझे खाने का साहस नहीं है , मुझे डर है कि कहीं मुर्गी मछली खाने के बाद फिर भाप और नमकीन सब्जी को गले के नीचे नहीं निगल सकता हो । आप का कृपा स्वीकृत है , आप गुस्से से बाज रहें । फान चुंगयन की इन बातों पर दोस्त बहुत प्रभावित हो गया और उस का नेक चरित्र और अधिक मान गया ।

एक बार किसी ने फान चुंगयन से उस की कांक्षा पूछी , तो उस ने कहा कि मैं या तो एक श्रेष्ठ चिकित्सक बननूंगा , या योग्य वजीर बननूंगा । श्रेष्ठ चिकित्सक लोगों को बीमारी से मुक्त कर देता है और योग्य वजीर देश का अच्छी तरह संचालन कर सकता है । फान चुंगयन की यह महाकांक्षी आगे सच्च निकली , वह सुंग राजवंश के प्रधान मंत्री बन गया और एक श्रेष्ठ राजनीतिकज्ञ सिद्ध हुआ ।

अपने कार्यकाल में फान चुंगयन ने देश को शक्तिशाली बनाने की कोशिश में शिक्षा के विकास तथा सरकारी संस्थाओं के सुधार पर बल दिया और देश भर में विद्यालय खोलने , शिक्षकों को प्रशिक्षित करने तथा सुयोग्य लोगों को तैयार करने की भरसक कोशिश की । उस के द्वारा चुने गए सुयोग्य व्यक्ति राजनीतिज्ञ व साहित्कार ओयांगश्यु , साहित्यकार चो तुनयी तथा दार्शनिक चांग च्ये चीन के इतिहास में बहुत मशहूर हैं ।

फान चुंगयन श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ होने के साथ एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी था , उस ने बड़ी मात्रा में अच्छी अच्छी रचनाएं लिखी थीं , उन की रचनाओं में यथार्थ समाज की समस्याओं के समाधान पर महत्व दिया गया । उस की यह सुक्ति आज भी चीन में समय समय उल्लिखित है कि चिंता हो , तो सर्वप्रथम सारी दुनिया पर चिंता ,खुश हो , तो सारी दुनिया के उपरांत खुद खुश ।

© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040