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तुंगफांगश्व की विनोदजनक कहानी

तुंगफांगश्व का नाम चीन में सदियों से मशहर है और उस की विनोदजनक कहानीयां चीनी लोगों में बहुत लोकप्रिय रही हैं ।

तुंगफांगश्व ईसापूर्व दूसरी शताब्दी में हान राजवंश का एक साहित्यकार था , उस के लेख पाठकों को बड़ा विनोद और कौतुहट देते थे। शुरू में वह हान राजवंश की राजधानी छांगआन नगर में निम्न पद का एक छोटा अधिकारी था । हान राजवंश के राज महल में बहुत से बौना लोग सम्राट की सेवा में घोड़ों की देखरेख करते थे । हालांकि इन बौनाओं का ओहदा ऊंचा नहीं था , परन्तु सम्राट के लिए घोड़ों की देखरेख के कारण वे अकसर सम्राट से मिल सकते थे । अपने की ओर सम्राट का ध्यान आकर्षित करने के ख्याल से तुंगफांगश्व को एक चाल सुझा ।

एक दिन , तुंगफांगश्व ने घोड़े की देखरेख करने वाले एक बौना से कहाः सम्राट कहते है कि तुम लोग बौना हो , खेतीबाड़ी के लिए तुम लोग दूसरों से कमजोर हो , युद्ध के वक्त सिपाही होने के काबिले नहीं हो , स्थानीय अधिकारी नियुक्त हुए हो , तो भी दूसरे लोग तुम्हारी हुक्मत नहीं मानते । तुम लोग बेकार में राज्य की धन दोलत खपाते हो , इसलिए सम्राट राज्य के सभी बौनाओं को मार कर खत्म करना चाहते हैं ।

तुंगफांगश्व की बातें सुन कर बौना को बहुत भय हुआ और वह फुट फुट कर रोने लगा ।

उसे ढाढस देते हुए तुंगफांगश्व ने कहाः चिंता ना हो , मैं तुम लोगों के लिए एक उपाय सोचूंगा ।

बौना ने बड़ी कृतज्ञ के साथ उपाय पूछा , तो तुंगफांगश्व बोलाः तुम लोग सम्राट से मिलने जाओ , उन के सामने घुटने टेके नतमस्तक कर उन से झमादान मांगो ।

तुंगफांगश्व का सलाह मान कर सभी बौनाओं ने सम्राट के बाहर दौरे के मौके का लाभ उठा कर उन के आगे घुटने टेक कर झमा मांगा , सम्राट को बड़ा ताज्जुब हुआ और कारण पूछा , तो बौनाओं ने कहाः तुंगफांगश्व ने हमें बताया है कि महामहिम आप हम सभी बौना लोगों को जान से मारना चाहते हैं ।

सम्राट ने तुंगफांगश्व को महल में बुलाया और उस से बौना लोगों को डराने का कारण पूछा , तुंगफांगश्व ने जवाब में कहाः झूट बोलने के कारण मुझे मौत की सजा देने की संभावना है , सो अब मेरे लिए खुल कर कारण बताना बेहतर होगा । महामहिम आप देखें , वे बौना लोग कद में एक मीटर से भी नीचे हैं , हर महीने तनख्वाह के रूप में एक मन का चावल और दो सौ के पैसा पाते हैं, मैं कद में करीब दो मीटर लम्बा हूं , तो भी महीने में एक मन का चावल और दो सौ के पैसा मिलते है । सो परिणाम यह निकलता है कि वे जरूरत से ज्यादा आहार खाने से मर जाते हैं , परन्तु मैं जरूरत से कम आहार मिलने के कारण भूख से मर जाऊंगा । यह घोर अन्याय है । हां , यदि सम्राट महाहिम मेरा तर्क मान लें , तो ऐसी हालत को बदल दें ।

तुंगफांदश्व की बातों पर सम्राट को बड़ा परिहास आया । इस छोटे चालाक से तुंगफांगश्व का उद्देश्य भी पूरा हो गया । सम्राट ने उसे अपने नजदीकी अधिकारी के पद पर नियुक्त किया । तुंगफांगश्व की यह कहानी भी छांगआन नगर में चावल की मांग के नाम से देश में मशहूर हो गई ।

तुंगफांगश्व की बहुत से विनोदजनक कहानियां प्रचलित हैं । एक कहानी के अनुसार किसी साल के गर्मियों के दिन तुंगफांगश्व और अन्य मंत्रियों के साथ कामकाज में लगे थे , इस वक्त सम्राट के सेवक जंगली जानवरों के बड़े स्वादिष्ट गोश्त लाए , कहते थे कि यह सम्राट की ओर मंत्रियों को देने वाला उपहार थे , तत्कालीन नियम के अनुसार केवल सम्राट का आज्ञा पत्र पढ़ कर सुनाया जाने के बाद ही अधिकारी गोश्त ले सकते थे । क्या पता कि तुंगफांगश्व आज्ञा पत्र सुनाए जाने से पहले ही अकेले चाकू से गोश्त का एक टुकड़ा काट कर घर ले गया। उस की इस हरकत पर लोगों को बड़ी हैरत हुई । इसे ले कर किसी ने सम्राट के सामने तुंगफांगश्व पर सम्राट का अपमान करने का आरोप लगाया, तो सम्राट ने उसे बुलाया और उसे अपनी करनी का स्पष्टीकरण करने को कहा । तुंगफांगश्व ने बड़े धैर्य के साथ कहा कि सच यह है कि जंगली जानवर का गोश्त सम्राट द्वारा हमें प्रदान किया गया है , आज्ञा पत्र पढ़ना महज समय की देर है । इस से पहले मैं अपना हिस्सा जो काट कर घर ले गया था , इस से अभिव्यक्त हुआ है कि मैं साहसिक हूं , फिर तो मैं ने स्वयं गोश्त का एक टुकड़ा काटा था , पर वह बहुत छोटा था , जिस से मेरा साफ सुथरा व्यक्तित्व जाहिर हुआ , मैं गोश्त घर ले गया , क्योंकि मैं ने उसे माता पिता को खिलाया , जिस से वृद्धों की सेवा करने का मेरा निस्वार्थ चरित्र व्यक्त हुआ है । अतः मेरा क्या अपराध हुआ है । तुंगफांगश्व की बातें सुन कर सम्राट ने मुस्कराते हुए मामले को टाल दिया ।

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