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आवाज निकली , तो आश्चर्यजनक
ईसा पूर्व नौवीं शताब्दी से ले कर पांचवीं शताब्दी तक चीन इतिहास के युद्धरत राज्य काल से गुजर रहा था । उस जमाने में देश में दसियों छोटा बड़ा राज्य शासन करते थे , सभी राज्य दूसरों को निगलने और अपने को शक्तिशाली बनाने की कोशिश में थे । अपने उद्देश्य को मूर्त रूप देने के लिए इन राज्यों के राजा प्रतिभाशाली सलाहकारों को बहुत पसंद करते थे , इस तरह समाज में सहाल व परामर्श देने का पैशा करने वाला एक वर्ग उत्पन्न हुआ , वे विभिन्न राजाओं को शासन और युद्ध संचालन के लिए अपनी अपनी नीति रणनीति पेश करते थे । वे राजाओं को अपनी राय स्वीकार कराने के लिए कभी कभी मुहावरा और कथा को भी काम में लाते थे ।

छी राज्य का राजा छि वीवांग अभी अभी राज्य गद्दी पर बैठा था । युवराज होने के समय वह एक प्रतिभाशाली और महाकांक्षी था ,वह लगन से प्रशासन व युद्ध संचालन के ज्ञान का अध्ययन करता था और शासन की रणनीति पर भी बड़ा ध्यान देता था , वह चाहता था कि सत्ता पर आने के बाद वह अपने राज्य को एक शक्तिशाली बड़ा राज्य बनाएगा । लेकिन जब राजा की गद्दी पर बैठा , तो उसे अनुभव हुआ कि राजा का अधिकार असीमित है , वह तरह तरह के सुख आनंद का उपभोग कर सकता है , रोज महल में मंत्री अधिकारी उस के आगे पीछे दौड़ते है और उस की आज्ञा बजाते है । राजा के पास स्वादिष्ट भोजन और मदिरा है और खूबसूरत सुन्दरियां हैं । इस तरह धीरे धीरे छी वीवांग की पहले की महाकांक्षा हवा हो गई ।

दो साल गुजरा , छी वीवांग भोगविलास में लग्न रहा था , रोज आखेट पर जाता था और शराब में मस्त रहता था । उस ने शासन के तमाम मामला अपने मंत्रियों पर छोड़ दिया । इस का परिणाम यह निकला कि राज्य का प्रशासन खराब होता जा रहा था और अधिकारियों में घोर भ्रष्टाचार हुआ । राज्य धीरे धीरे कमजोर बनता गया और पास पड़ोस के राज्यों ने छी राज्य पर चढाई करना शुरू किया । भद्र अधिकारी और प्रजा राज्य के भविष्य पर चिंतित हो उठे , लेकिन उन्हें छी वीवांग को समझाने का साहस नहीं था , क्यों कि उन्हें डर था कि कहीं सलाह देने से राजा नाराज हो कर उन्हें सजा तो नहीं दे ।

छी राज्य के महल में छुन युखुन नाम का एक सलाहकार था , वह वाक्यचतुर और अकसर रूचिकर कहानी और तर्कसंगत मुहावरे से लोगों को समझाता था । उसे पता था कि छी वीवांग को भी नीति कथा और तर्कसंगत मुहावरा पसंद है , तो उस ने मौके से लाभ उठा कर उसे समझाने बुझाने की ठान ली ।

एक दिन , छुन युखुन छी वीवांग से मिलने गया । उस ने राजा से कहा कि महा राजा , मुझ जैसे मंदबुद्धि वाले को एक पहेली मिली , क्या महा राजा , आप इसे सुलझाना चाहते हैं ? छी वीवांग ने हां में कहा कि बताओ , कौन सी पहेली हो ?

तो छुन युखुन ने कहाः एक राज्य में एक बड़ी पक्षी है , राजमहल में वह तीन साल रह चुकी है , लेकिन वह न तो पंख फैला कर उड़ान भरती है , न ही कभी आवाज देती है , यो बिना लक्ष्य लिए महल में दुबकी रहती है , तो आप बताए , वह कौन सी पक्षी है ?

छी वीवांग समझ गया कि छुन युखुन ने उसे एक निकम्मा राजा कह कर यह व्यंगात्मक पहेली सोची है , पर उस का किस तरह उत्तर देना सही होगा ?

काफी देर तक सोच विचार कर छी वीवांग ने छुन युखुन से कहा कि यह एक महान पक्षी है , तुम नहीं जानते हो , वह उड़ान भरना नहीं चाहती , तो न उड़ती , जब एक बार उड़ी , तो सीधे ऊंचे आसमान में जा पहुंचेगी , जब आवाज नहीं चाहती , तो देती नहीं , यदि आवाज देना चाहती , तो आवाज सबों को सतब्ध कर देगी । तुम देखने को प्रतीक्षा करो ।

छुन युखुन के सलाह से प्रभावित हो कर छी वीवांग ने अपने को कमरे में बंद कर कई दिन आत्मलोचना की और अपनी गलती को दुरूस्त करने का पक्का संकल्प किया । वह अपने राज्य को शक्तिशाली बनाने के कटिबद्ध हो गया और प्रशासन को सुव्यवस्थित करने लगा । उस ने राज्य के अधिकारियों से मुलाकात कर भद्र वालों को इनाम प्रदान किया और भ्रष्ट्र व निकम्मा वालों को कड़ी सजा दी , उस ने सेना का पुनः विकास कर सशक्त बनाया । छी राज्य अल्प समय में ही एक नयी सूरत ले कर उभरा , जिस में जीवन की प्रबल शक्ति का संचार हुआ । छी राज्य पर हमला बोलना चाहने वाले राज्यों को खबर पा कर बड़ा सतब्ध हुआ , वे कहते थे कि छी वीवांग सचमुच एक महान पक्षी है , जो आवाज देती है , तो जरूर लोगों को सतब्ध कर देती है ।

चीन में इसी कहानी पर आधारित जो कहावत प्रचलित है , जो बताता है कि असाधारण योग्यता रखने वाला जब अपनी प्रतिभा को अच्छी तरह उजागर कर देता है , तो उस की सफलता सतब्ध देने वाली है ।

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