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श्रीमान तुंगक्वो और चुंगशान भेड़िया की कहनी

चीन में श्रीमान तुंगक्वो और चुंगशान भेड़िया की कहानी सदियों में प्रलचित रही है । कहा जाता था कि प्राचीन काल में तुंगक्वो नाम का एक श्रीमान रहता था , वह किताब का कड़ा माना जाता था , जो केवल किताब पढ़ना जानता था और लोक व्यवहार से पूरी तरह अज्ञात था । एक दिन , श्रीमान तुंगक्वो अपना गधा हांकते हुए चुंगशान नाम के एक राज्य में नौकरी ढूंढ़ने जा रहा था , गधे के पीठ पर लदे एक थैले में किताबें भरी हुई थीं । चुंगशान के रास्ते में चलते चलते अनायास एक घायल हुआ भेड़िया भाग कर उस के सामने आ पहुंचा । भेड़िया ने श्रीमान तुंगक्वो से बिनति करते हुए कहाः श्रीमान जी , मेरा एक शिकारी पीछा कर रहा है , उस का तीर मेरे शरीर पर साध गया है , मेरी जान बाल बाल बची है , आप से बिनति करता हूं , मुझे बचाओ , मैं आप का एहसान कभी नहीं भूलता हूं । तुंग क्वो जरूर जानता था कि भेड़िया नर संहारी है , लेकिन सामने वाला इस घायल हुए भेड़िया पर उसे दया आयी , थोड़ा सोच कर उस ने कहाः तुम को बचाने पर शिकारी निश्चय ही मुझ से नाराज होगा , फिर भी तुम ने मुझ से जान बचाने का अनुरोध किया है , तो मैं तुझे अवश्य बचाऊंगा । कहने के बाद तुंगक्वो ने भेड़िया से चार पैरों को सिकोड़ कर मिलाने को कहा , फिर उस ने भेड़िया को रस्सी से बांधा और उस का शरीर जितना संभव हो छोटा कर थैले के भीतर घुसा दिया ।

थोड़ी देर में शिकारी आ पहुंचा , भेड़िया गायब हुआ देख उस ने तुंगक्वो से पूछाः श्रीमान जी , क्या आप ने एक घायल भेड़िया आया देखा है , वह किधर भाग गया है ? तुंगक्वो ने जवाब में कहा कि मैं ने नहीं देखा , यहां कई रास्ते हैं , कहीं दूसरे रास्ते से वह भाग तो नहीं गया । तुंगक्वो की बातों पर शिकारी को विश्वास हुआ , वह दूसरी दिशा में भेड़िया का पीछा करने चला गया । थैले के भीतर छुपे भेड़िया ने जब शिकारी का आहट दूर दूर जा कर खत्म होता सुन कर तुंग क्वो से आग्रह किया कि वह तुरंत उसे बाहर निकाल ले , ताकि वह जल्दी खतरे से बचने भाग जाए । दयालु श्रीमान तुंगक्वो ने फिर भेड़िया की झूठी मिट्ठी बातों से धोखा खाया, उस ने भेड़िया को थैले से बाहर निकाल कर छोड़ा । लेकिन तुंगक्वो की कल्पना से बाहर था कि बाहर आये भेड़िया ने तभी उस से कहाः श्रीमान जी , आप ने मेरी जान तो बचा ली है , पर मेरी भूख बहुत आयी है , आप दोबारा कल्याण करो , मुझे आप को पेट भरने खाने दे दो । कहते ही भेड़िया पंजा बढ़ा कर तुंगक्वो पर टूट पड़ा ।

तुंगक्वो जहां नंगे हाथ से भेड़िया से भिड़न कर रहा था , वहां ऊंची आवाज दे कर भेड़िया को कृतघ्न बताते हुए कोस कर रहा था । इसी बीच एक बुजुर्ग किसान फावड़ा लिए पास से गुजरने आया, तुंगक्वो ने उस का रास्ता रोक कर उसे अपने द्वारा भेड़िया को बचाने और उलटे उस के कृतघ्न हो कर अपने को मार खाना चाहने की कथा बतायी । उस ने किसान से न्याय करने को मांगा , भेड़िया ने तो तुंगक्वो की मदद में जान बचने की बात से साफ इनकार किया । इसी हालत में बुजुर्ग किसान ने थोड़ा सोच कर कहाः मुझे तुम दोनों की बातों पर विश्वास नहीं है। यह थैला बहुत छोटा है , उस के भीतर कैसा एक बहुत बड़ा भेडिया रखा जा सकता । बेहतर है कि दोबारा वही काम करो , मुझे आंखों से देखने दो । भेड़िया मंजूर हुआ , वह फिर जमीन पर बैठ कर शरीर में सिकुड़ गया और उस ने तुंगक्वो को अपने को फिर से बांधने को कहा , भेड़ियो को थैले में डाले जाने के तुरंत बाद बुजुर्ग किसान ने रस्सी से थैले के मुह को कस कर बांध दिया और तुंगक्वो से कहाः यह आदमख्वांर जानवर है , उस का आदमी को मार खाने का स्वाभाव नहीं बदल सकता है , तुम भेड़िया को दया देते हो , समचुम अक्लहीन निकला हो । किसान ने फावड़ा उठा कर जोर से मार कर भेड़िया को खत्म कर दिया ।

श्रीमान तुंगक्वो में इसी वक्त अक्ल आया , उस ने किसानों को लाख धन्यावाद दिया । इस कथा के लोकिप्रिय होने के कारण चीन में श्रीमान तुंगक्वो शब्द बेमानी दया आने का पर्याय बन गया और चुंगशान का भेड़िया शब्द अकृत्य वाले का ।

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