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लोमड़ी की चाल

एक दिन जंगल का राजा बाघ भूख से परेशान हो रहा था , तो वह जंगल में आहार ढूंढ़ने निकला । संयोग से उस ने एक लोमड़ी पकड़ी और उसे खा खा कर पेट भरने को तैयार हो गया । लेकिन इसी वक्त लोमड़ी ने उस से कहा कि बाघ रे बाघ , तुम मुझे नहीं खा सकते हो , क्योंकि मैं भगवान से यहां भेजा गया हूं , उस ने मुझे जानवरों का राजा नियुक्त किया है , अगर तुम ने मुझे खा डाला , भगवान तुझे सजा देगा ।

लोमड़ी की बातों पर बाघ को आशंका आयी , उसे पता नहीं कि लोमड़ी की बातों पर विश्वास करना चाहिए अथवा नहीं । वह भूख से भी मारा जा रहा था , इसलिए बड़ी दुविधा में वह पड़ गया । बाघ की दुविधा देख कर लोमड़ी ने फिर कहा कि तुम मेरी बातें झूठी समझते हो , तो आओ , मैं आगे आगे चला जाऊंगा , तुम मेरे पीछे आओगे , तो तुम देख सकते हो कि जंगल के जानवर मुझ से डरते हो या नहीं । अगर वे मुझे देख कर दूर दूर भाग नहीं गए , तो तुम मुझे खा डालोगे ।

लोमड़ी की बातें उचित समझ कर बाघ उस के साथ जंगल में आगे बढ़े , लोमड़ी आगे आगे चल रहा था , तो बाघ उस के पीछे पीछे हो लिया जा रहा था । सचमुच ही जंगल के सभी जानवर उन दोनों को देख कर दूर दूर भाग गए थे । बाघ को मालूम नहीं था कि असल में जानवर उसे देख कर भय के मारे भागते हैं , वह समझता था कि जानवर लोमड़ी से डर रहे हैं । इसलिए वह भी लोमड़ी से डर कर भाग गया ।

इस कथा से यह शिक्षा मिल सकती है कि किसी भी बात की असलियत जानना चाहिए , लोमड़ी बाघ के रोब के सहारे अन्य जानवरों को डराता था , ऐसी चाल में न पड़ जाना चाहिए ।

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