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होची ने खेतीबाड़ी का विकास किया

चीन की प्राचीन सभ्यता कृषि सभ्यता के अन्तर्गत होती थी , इसलिए चीन की पौराणिक कथाओं में कृषि संबंधी बहुत सी कहानी पढ़ने को मिलती हैं । होची की खेतीबाड़ी के विकास की कहानी उन में से एक है।

मानव के जन्म के बाद लोगों का जीवन मुख्यतः शिकारी करने , मछली पकड़ने तथा जंगली फल तोड़ने पर निर्भर होता था । वे दिन भर दौड़धूप करते थे और भी अकसर भूख से पीड़ित रहते थे । आदि कालीन चीन के योताई स्थान में च्यांगयुन नाम की एक युवती रहती थी ।

एक दिन , च्यांगयुन खेलने के लिए बाहर चली गई , जब घर लौट रही थी , तो रास्ते में एक नमी जगह पर उस ने एक बहुत बड़ा पदचिन्ह पड़ा देखा , इस बड़े पदचिंह पर च्यांगयुन को बड़ा आश्चर्य हुआ ,और कौतुहट भी हुई , उस ने अपने पांव को इस बड़े पदचिंह पर रखा , इसी के साथ च्यांगयुन को लगा कि उस के शरीर के अन्दर हल्का सा हलचल मचा । घर लौटने के कुछ दिन च्यांगयुन को गर्भधारण हो गया और समय पर एक बच्चे का जन्म हुआ । बच्चे का पिता नहीं था , इसलिए पड़ोसियों को उसे अशकुन लगता था और उन्हों ने च्यांगयुन से बच्चा छीन कर गांव से बाहर छोड़ा , वे समझते थे कि यह बच्चा जरूर भूख से मर जाएगा । लेकिन इस बच्चे की रक्षा करने के लिए बहुत से जंगली जानवर आ पहुंचे और मादा जानवर उसे अपना दुध पिलाती रही । उसे जिवित हुआ देख कर गांव वासियों ने उसे फिर ठंडी बर्फ पर छोड़ रखा , लेकिन गांव वासी अभी अभी चले थे कि आसमान से बड़ी संख्या में पक्षियां उतर कर बच्चे को अपने पर पंख से गर्मी देने लगीं ।

लोग समझ गए कि यह बच्चा कोई साधारण बच्चा नहीं था , तो उसे वापस घर ले आए और पालने के लिए उस की माता को लौटाया गया । कई बार छोड़े जाने के कारण बच्चे का नाम छी अर्थात त्याग रखा गया ।

छी बचपन में ही बड़ा महाकांक्षी निकला था । जब उस ने देखा कि मानव को शिकारी करने और जंगली फल तोड़ने में बड़ी कड़ी मेहनत करना और दौड़धूप होना पड़ता था और फिर भी भूख प्यास से नहीं छूट सकते थे , तो उस के मन में यह विचार आया कि अगर किसी एक ही जगह पर आहार की आपूर्ति हो सकती हो , तो कितना अच्छा होगा । उस ने बारीकी से गौर करने से यह रहस्य पाया कि जंगली फलों के बीज जमीन में दोबारा उग जाते है , तो उस ने जंगली गैहूं , धान , सोयाबीन , बाजरा तथा विभिन्न किस्मों के फलों के बीज इक्टठे कर दिए और अपनी जुती हुई जमीन के एक टुकड़े पर बोये , समय समय पर पानी से सिंचित किया और घास की गोड़ाई की । जब फसल पक गई, तो उस के फल बहुत भरपूर निकले और स्वाद भी जंगली फल से बेहतर लगता ।

जंगली वनस्पतियों के बीजों की बुवाई उगाई अच्छी करने के लिए छी ने लकड़ी और पत्थर से सरल औजार भी बनाये । जब छी परवान चढे , तो उसे खेतीबाड़ी के बारे में बहुत से अच्छे अनुभव प्राप्त हो चुके थे । उस ने अपना सभी ज्ञान लोगों को सिखाया , जिस से मानव धीरे धीरे शिकारी करने , मछली पकड़ने तथा जंगली फल तोड़ने पर पूरी निर्भर होने से मुक्त हो गया और उसे खेतीबाड़ी की जानकारी प्राप्त हुई । छी के इस महान योगदान के कारण लोग उसे होची के नाम से सम्मानित करने लगे , प्राचीन चीनी भाषा में हो का अर्थ शासक है और ची का अर्थ अन्न , अर्थात वह अन्न का राजा है ।

होची के देहांत के बाद चीनी लोग उस के कारनामे की समृत्ति में उसे प्राकृतिक दृष्टि से बहुत सुन्दर एक स्थान में दफनाया , जहां भूमि ऊपजाऊ थी , विभिन्न किस्मों की फसलें बेहतर उगती थी और हर शरद में जब फसल काटी जाती थी , तो बड़ी संख्या में पक्षियां आ कर नाचती गाती थी ।

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