कहा जाता है कि पुराने समय में चीन के युङ चाओ नगर में एक अंधविश्वासी आदमी रहता था , चीनी परम्परा के अनुसार उस का जन्म चूहा वर्ष में हुआ था ।
इसलिए वह चूहा को अपना पूज्य देवता समझता था ।
उस के घर में चूहा पकड़ने वाला बिल्ली नहीं पाला जाता था और चूहों को अनाज के गोदाम और रसोइया में मनमानियां करने छोड़ा जाता था ।
इसी के कारण बड़ी संख्या में चूहे नगर के कोने कोने से उस के घर आ बसे ।
दिनदहाड़े चूहे झुंड के झुंड में मकानों में घूमते फिरते थे और हुंकार मचाते थे ।
उन्हें घर के मालिक के आगे भी घूमने खेलने की हिम्मत भी आयी। रात में चूहों में खाना छीनने के लिए झगड़ा भी होता था और ची -ची की आवाज से लोगों की नींद को खराब देते थे ।
इस अंधविश्वासी आदमी के घर के सभी फर्निचरों को चूहों से दांतों से काट कर बदहाल बनाया गया था और अलमारियों में कपड़ों की चिथड़े ही चिथड़े पड़े नजर आती थीं ।
यहां तक घर के तीन वक्तों के खाना भी चूहों का भोजन होने के बाद जूठा बासी रह गया ।
लेकिन मालिक इस सब पर आंखें मूंद कर कुछ नहीं करता था और घर वालों को चूहा मार करने की अनुमति नहीं देता था ।
यो कुछ साल गुजरे थे । इस आदमी का घर दूसरी जगह स्थानांतरित हुआ ।
नया आया घर के मालिक को मकानों में चूहों का बोलबाला देख कर अत्यन्त हैरत हुआ , उस ने कहा कि चूहा बड़ा घृणाजनक वस्तु है , उन्हें इतना हंगामा मचाने को क्यों दिया जाता है ।
उस ने चूहा पकड़ने के लिए पांच शक्तिशाली बिल्लियां लाईं और कुछ मजदूर भी बुलाए , घर के तमात दरवाजें और खिड़कियां सील कर दी गई और मकानों की छतों पर से खपरियां हटाई गई ।
जहां भी चूहा के बिल्ल पाये गए , वही उस के अन्दर धुँआ झोंका गया , फिर अन्दर पानी डाला गया , अंत में सभी चूहा बिल्लों को बन्द कर दिया गया ।
इस तरह मारे गए चूहों की लाशें एक छोटी पहाड़ी सी बनी नजर आयी , उन्हें दूर जगह ले जाये गए और सड़ने गलने का बदबू महीनों तक फैलता रहा ।
दोस्तो , यह कथा हमें बताती है कि किसी भी हानिकर वस्तु पर किसी भी कारण से दया या प्यार नहीं आना चाहिए । और अंधविश्वास से दूर रहना चाहिए
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